रौ बतहा किए बताह भेल छेँ तूँ अपने में
मिथिला राज्य भेट जेतौ, नै रहतौ ई सपने में।
पुरखाक तपोभूमि ज्योत देश विदेश में जरै छौ
अप्पन मिथिलाक गुणगान सगरो दिशा में भ रहल छौ
मुदा तूँ किए बताह भेल छेँ अनर्गल कुचर्च में
मिथिला राज्य भेट जेतौ नै रहतो ई सपने में।।
रौ बाबू पित्ती सबके जगबहि
अपनों जाग आ सबके बुझबहि
मिथिला राज्य सँ लाभ कि भेंटत
गामे गाम जा दर्शन करबहि
किए बताह भेल छेँ फूसि के पचड़े में
मिथिला राज्य भेट जेतौ नै रहतो ई सपने में।।
पुरखाक जमीन छौ, चासैत कियो आर छौ
अधिकार के छोड़ उनटा आँखि तरेरै छौ
बुद्धिगर छेँ तखन बुद्धियारी सँ काज ले
स्वाभिमान जगा आ अभिमानी के नोइच ले
किए बताह भेल छेँ व्यर्थ के घमर्थन में
मिथिला राज्य भेट जेतौ नै रहतो ई सपने में।।
अपने गाम में नगरवासी छे आ बाहर देश में प्रवासी छेँ
डूबल भासियायल तंत्र एतय छौ
विद्याक फसल सब नष्ट भ रहल छौ
भविष्यक नस्ल सेहो कष्ट काटि रहल छौ
किए बताह भेल छेँ तूँ स्वयं के उलझन में
मिथिला राज्य भेट जेतौ नै रहतो ई सपने में।।
रामबाबू सिंह- 25जून2016।
मिथिला राज्य लेल वर्तमान मे कोनो संगठन प्रभावसाली आंनन्दोलन नहि कय सकैत अछि। मिथिला राज्य आंदोलन के साझा मंच हो ।
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