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Sunday, August 4, 2019

जीवन पर अछि प्रभाव, सर्वधर्म समभाव

गुमान अछि ओहि माटि-पानिक जतय हमर जन्म भेल अछि। जाहि उर्वर धराक अन्न पानिसँ हमर देह दशा पोषित भेल अछि। महान ऋषि मुनि संत सभक जप तप सँ सृजित धराधामक पर ज्ञान ध्यान सँस्कार सँस्कृति सँ संपोषित भेल अछि। गर्व अछि अपन राग भास रीति रिवाज पर जे नहि केवल मिथिला अपितु देश विदेशमे झंडा गाड़ने अछि।

हिन्दू छी ई हमरा लेल पहिल गर्वक गप्प आ दोसर महाराणा प्रतापक वंशज, ताहिसँ छाती आओर चौरगर भS जाएत अछि। एखनहुँ पूजा पाठ पाबनि तिहार व्रत उपवास सँग प्रभात वंदन आ संध्या वंदन नित नियमित करैत छी आ से सँस्कार हमरामे परिवार आ अपन टोला समाज सँ भेटल अछि। आ ताहि सँस्कृति सँस्कारक संरक्षण आ संवर्धन हेतु यथासाध्य कर्म करैत अपन दायित्व बुझि निर्वहन करबाक चेष्टा करैत छी। हम ताम-झाम झार-फानूस,आडंबर आ देखाउंस सँ बचैत छी। जे छी जेना छी तहिना जीवाक प्रयास करैत छी।

हम कनि बेसी भावुक इंसान छी आ बहुत जल्दी भावनाक सँग प्रवाहित भS जाएत छी। एकरा  गुण आ अवगुण अपने लोकनि अपन अपन आँखि सँ देख सकैत छी। वेदना संवेदनाक प्रभाव हमरामे बेसी रहैत अछि। कोनो तरहक दुखद घटना दुर्घटना पर मन व्यथित भS जाएत अछि आ कतेक बेर आँखि सेहो अनायास डबडबा जाएत अछि।

धर्म जाति रँग लिंग गरीब मातबर आदि सब समाजिक व्यवस्थाक सर्वप्रमुख धुरी अछि। समाजिक जीवनक ई सतरँगी छवि एकटा सुखद आ सर्वसमावेसी समाजकेँ सृजित करैत अछि। समाजिक उत्थान निर्भर करैत अछि सर्वधर्म सम्भाव पर, नहि की अपन अपन जातीयता झंडा आ डंडा लहरेला सँ। हम पहिने एकटा इंसान छी फेर  हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई मुल्ला आ पंडित। हमर व्यक्तिगत मूलमंत्र यएह अछि।

सहसा एकटा संस्कृतक श्लोक मोन पड़ि गेल जे एतय राखि रहल छी:-
तर्कविहीनो वैद्य: लक्षण हिनश्च पंडितो लोके।
भावविहीनो धर्मो नूनं हस्यन्ते तृणयते।।
तर्कविहीन वैद्य लक्षणविहीन पंडित आओर भावरहित धर्म ई दुनियामे हंसीक पात्र बनैत अछि।

जयमिथिला || जयमैथिली || जयजय मिथिलाक्षर

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