यौ कोनो स्वाभिमानी लोक पृथक मिथिला राज्य केर अभियान में वाधित नहि भ सकैए? मिथिलाक माटि पानि सँ जँ कनिको सिनेह हेतनि तखन एहन लोकक अन्तरात्मा अवश्ये आंदोलित होयत रहैत हेतनि मुदा हुनकर मोन में टिस भ सकैए छनि कि हम किये पछुआ गेलहुँ आ कोना आर कियो आगु बढ़ि अभियान केर सहभागी बनि गेलाह? वर्चस्व बाला मानसिक रोग अपना सब में बेसी देखल जएत अछि।
किछू करि आ नै मुदा मोन रहैत छनि कि लोक सब जी हजुरी करैत रहए? बिना किछू कएने की बंगौड़ भेंटत, आ जखन स्वपोषित हित के त्यागि समग्र हित के लेल ह्रदय सँ चिंता करब तखन लोक स्वयं अपन अन्तर्भाव सँ जयजयकार करत।अपने मरब तखने स्वर्गक दर्शन हएत। दोसर कोनो आन लोकक मरला सँ स्वर्गक दर्शन कत सँ भेंटत?
तें निहित स्वार्थ के राखु तक्खा पर आ मोनक कचोट के बिसारि मिथिला आ मैथिल के प्रति निष्ठापूर्वक तन मन धन सँ अभियान सँग जुड़ि माँ जानकी केर सेना बनि आंदोलन के सहभागी बनु। सोझा आउ आ माँ जानकी भूमि केर बिहार सँ आजादी में अपन सत्य निष्ठां कर्मठता सँ सेवा करू। जय मिथिला जय माँ जानकी।
No comments
Post a Comment