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Rambabu
4:20 AM
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इस पेड़ को अपने यहाँ अलग अलग नाम से जानते है ! हिंदी में आक, अकबन और आर्क संस्कृत में मदार या मन्दार और मैथिलि में अकौन भी कहते है ! भगवान शंकर पर अर्पण करने वाला सबसे प्रिय पुष्प माना गया है ! यहाँ तक की शिव रात्रि में मंदिर को इन पुष्प के मालाओं से सजाया जाता है ! शिवपञ्चाक्षरी स्त्रोतम् में भी इस पुष्प का वर्णन है "मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय" ! तो आइये आज इस आक के पेड़ की आयुर्वेदिक औषधि का क्या महत्व है इसके बारे में चर्चा करते है !
रात में सोते समय निकाल दें !
एक सप्ताह में आपका " सुगर " सामान्य् हो जायेगा !
बाहर निकला पेट भी कम हो जाता है !
पेट पर चर्बी नही जमती !
ब्लडऱ्पेशर भी नार्मल रहता है !
यह " अनुभूत " योग है !
काफी लोग इसके ऱ्पयोग से लाभान्वित हो रहे हैं !
आप भी स्वास्थ़्य लाभ लें !!
आप को स्वस्थ् देख कर मुझे हार्दिक खुशी होगी !!
आक, आकडा, मदार के गुण :
आक, आकडा, मदार के गुण :
इसे हम शिवजी को चढाते है ; अर्थात ये ज़हरीला होता है . इसलिए इसे निश्चित मात्रा में वैद्य की देख रेख में लेना चाहिए .पर कुछ आसान प्रयोग आप कर सकते है
1 -- अगर किसी को चलती गाडी में उलटी आती हो ( motion sickness ) तो यात्रा पर निकलते समय जो स्वर चल रहा हो अर्थात जिस तरफ की श्वास ज़्यादा चल रही हो उस पैर के नीचे आक के पत्ते रखे. यात्रा के दौरान कोई तकलीफ नहीं होगी .
3 -- आक का दूध कभी भी सीधे आँखों पर नहीं लगाना चाहिए. अगर दाई आँख दुःख रही हो तो बाए पैर के नाख़ून और बाई आँख दुःख रही हो तो दाए पैर के नाखूनों को आक के दूध से तर कर दे .
4 -- रुई को आक के दूध और थोड़े से घी में भिगोकर दांत में रखने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है .
5 -- हिलते हुए दांत पर आक का दूध लगाकर आसानी से निकाला जा सकता है .
7 -- आक की कोपल को सुबह खाली पेट पान के पत्ते में रख चबा कर खाने से ३ से 5 दिनों में पीलिया ठीक हो जाता है .
8 -- सफ़ेद आक की छाया में सुखी जड़ को पीस कर १-२ ग्राम की मात्रा गाय के दूध के साथ लेने से बाँझपन ठीक होता है . बंद ट्यूब और नाड़ियाँ खुल जाती है ; मासिक धर्म गर्भाशय की गांठों में लाभ होता है .
9 -- पैरों के छाले इसका दूध लगाने से ठीक हो जाते है .
10 -- गठिया में आक के पत्तों को घी लगा कर तवे पर गर्म कर सेकें .
11 -- आक की रुई को वस्त्रों में भर, रजाई तकिये में इस्तेमाल करने से वात रोगों में लाभ मिलता है.
12 -- कोई घाव अगर भर ना रहा हो तो आक की रुई उसमे भर दे और रोज़ बदल दे .
13 -- आक के दूध में सामान मात्रा में शहद मिला कर लगाने से दाद में लाभ होता है .आक की जड़ के चूर्ण को दही में मिलाकर लगाना भी दाद में लाभकारी होता है .
14 -- आक के पुष्प तोड़ने पर जो दूध निकलता है उसे नारियल तेल में मिलाकर लगाने से खाज दूर होती है .इसके दूध को कडवे तेल में मिलाकर लगाने से भी लाभ होता है .
15 -- इसके पत्तों को सुखाकर उसकी पावडर जख्मों पर बुरकने से दूषित मांस दूर हो कर स्वस्थ मांस पैदा होता है .
16 -- आक की मिटटी की टिकिया कीड़े पड़े हुए जख्मों पर बाँधने से कीड़े टिकिया पर आ कर मर जाते है और जख्म धीरे धीरे ठीक हो जाता है .
17 -- आक के दूध के शहद के साथ सेवन करने से कुष्ठ रोग थी होता है. आक के पुष्पों का चूर्ण भी इसमें लाभकारी है.
19 -- स्थावर विष पर २-३ ग्राम आक की जड़ को घिस कर दिन में ३-४ बार पिलाए .आक की लकड़ी का 6 ग्राम कोयला मिश्री के साथ लेने से शारीर में जमा पारा भी पेशाब के रास्ते निकल जाता है .
20 -- आक और भी कई रोगों का इलाज करता है पर ये योग वैद्य की सलाह से ही लेने चाहिए .
21 -- इसके अर्क प्रयोग से होने वाले हानिकारक प्रभाव को कम करने के लिए दूध और घी का प्रयोग करें
Ati Sunder........
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-Never heard @ Sugar (Diabetic)
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