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Rambabu
7:31 PM
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विजयवाड़ा में कुछ दिन पहले दुनिया भर के तर्क वादियों के सम्मेलन हुआ था। पहले ही दिन उदघाटन भाषण में कहा गया मानव तरक्की में विज्ञानं सबसे बड़ा औजार साबित हुआ है और जब जब सम्प्रदायिक ताकत का उभार हुआ है धार्मिक संस्थाओ की ताकत बढ़ी है उससे बैज्ञानिक नजरिये को बड़ा नुकसान पंहुचा है। दुनिया के कोने कोने में वैज्ञानिक नजरिये से लोगो में उजाला फ़ैलाने बाला एक स्वर में बोला है कि लोगो के जिंदगी में सबसे ज्यादा अँधेरा नफरत फ़ैलाने बाला तंग नजर ने फैलाया है।
सभ्यता की साजिस में सबसे बड़ा नुकसान बैज्ञानिक सोच को हुआ है। उनके आजाद ख्याल ने सत्ता को एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है जो कि विज्ञानं के कसौटी पर कसे बिना ये एक शब्द नही बोलते। सरकार चाहे तो उन्हें असहिष्णु जमात में रख सकते है।
औरतों को सामान समझने को धर्म को दुकान समझने को और मतभेदों को अपमान समझने की सांस्कृतिक स्वाद के दौर में ऐसे आजाद ख्यालों का विरोध होना तय था और जम कर हुआ । जिस दौर में सत्ता में बैठे लोगों की आस्थाऐं हिंसक हो जाने की हद तक एक खास धर्म के पक्ष में संचालित हो जाती हो , उस दौर में ऐसे व्यानों के जरिये सोच का सबाल उठाना सीधे सीधे सरकार को कटघरे में रखने जैसा ही है ।
ये जानते हुए कि आजाद ख्याल के हत्यारे हर गली में गिरोह बनाकर घूम रहे है । हर शय की एक सीमा होती है, सोच की कोई सीमा नही होती सच की कोई सीमा नही होती संघर्ष की कोई सीमा नही होती ।
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