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Monday, July 8, 2019

|| लाल कक्काक डेराओन सपना ||

अकानैत हमर डेग अंचोके पहुँचल
जखन लाल कक्का केर मकान पर !
घरहि सँ जबाब भेटल
जाउ ओ जमघट लगेने हेताह
पाण्डे जीक पानक दोकान पर !!
दर्शन होइतहि ओतय
चरण स्पर्श करैत कहलिएन्हि
कक्का जी हम रामबाबू !
ओ तकैत हमरा दीस कहै' छथि
रामबाबू सिंह मधेपुर कहक
के' नहि जनैत छह हौ बाबू? !!

हम पुछलियैन्ह कक्का जी
अपने स्वस्थ छी ने
झट दS अपन मुखाकृति
कपोचि कहै छथि
हौ उमेरक रोग !
जेना सुगर, हार्ट, बीपी
अर्थराइटिस सँग दृष्टिदोष
अहि सभ सँ हम छी निरोग !!
ई त' हमर केवल भाभट अछि !
दही चुरा आमक अहगर भोग सँ
हमरा कनिओ नहि भांगट अछि।!

फेर ओ कहै छथि
देखल अजगुत सपना आई भोरेभोर !
सिहरि उठल देहक पोरेपोर
कतबहु मनकेँ हम थिर करि
आकुल मनकेँ नहि भेटय ठौर !!
डेराओन धरल ओ मुखमण्डल
कक्काकें भेलनि जे हम डरा' जेबई !
आ बिनु खेन्नहि एतय सँ पड़ा' लेबई !!
हम पुछलियैन्ह कक्का,
कि कतहु परमाणु बम खस' बला छैक !
आ की दुनिया जलमग्न होम' बला छैक !!

ओ कहै छथि- हौ तहिना सन बुझह
एकैसम सदीक सन एकैसमे देखलहुँ
विश्व युद्धक बिगुल अछि फुकि देलक !
वीभत्स दृश्य आँखिक सोझा
अछि अन्तर्मनकें धुकि देलक !!
गामक लोक त' अपनाकेँ बचा लेत
महानगरक हाल बेहाल देखल
बिजली त' ओतय आघार बनल !
ब्रह्मा सन सृजनहार बनल !!
पहिने ओकरा ओ ध्वस्त कएलक !
जे जतय छल ओतय लटकल
भगदड़ सन मचल अछि सगरो दीस
अपटी खेतमे सभक प्राण अटकल !!

मात्र तीन दिन भेलैए युद्धक !
अकासमे चहुंदिश उड़ि रहल
असंख्य उमकैत झुण्ड गिद्धक !!
देखि धैरजक बान्ह आब धोखरि रहल !
उजाहि सन छटपटाएत पसरि रहल
प्रकृत प्रेम परित्याग कS
कृत्रिम दुनियाकें असरि रहल !!
विद्युत प्रवाह बिनु कोना भेटत !
भरि छाक पिबय लेल पानि एतय
कोना दौड़त गाड़ी आ जहाज
वा कृत्रिम संयंत्र सभ चलत कतय !!

चेतु एखनहुँ घुरि आउ गाम !
हेरि रहल डीह अबड़ा डबड़ा
आकुल अछि गाछक आम लताम !!
कोठी बखारी खेती पथारी !
जोहि रहल बाट बुढ़िया बेचारी
जलखै कलौ बेरहटक बेर
नित नोर नयन लS निहारि रहल
भनसा घरकें भुक्खल थारी !!
महानगर नहि महाजाल अछि !
मृगतृष्णाक केवल पसार अछि
अरण्यमे भटकैत अस्वस्थामा सन
जीवन बनल जंजाल अछि !!

रामबाबू सिंह मधेपुर

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