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Saturday, July 13, 2019

अनर्गल अथा मायक कथामे ओझराएल देश

21वीं सदीक भारत, अजुका भारत, नवका भारत,चाँद आ सुरुज पर ज्ञान बघार' बला भारत एखनहु जाति पाति रँग भेद हिन्दू (अवर्ण स्वर्ण) मुसलमान ( सिया-सुन्नी) लिंग भेद आदि सँ आगू नहि बढ़ि सकल अछि।

मकड़जालमे फँसल मकड़ी जकाँ दिनानुदिन लोक ओझराएले जाए रहल अछि। वर्ण जाति धर्म लिंग आदिक लSक जतेक द्विस्थिति मतलब द्विविधामे लोक अजुका भारतमे जिबि रहल अछि साइते पूरा दुनियामे लोक जिवैत हएत।

दुनियाक सभटा देश रोजी रोटी शिक्षा सुरक्षा स्वास्थ्य सेवा पर केंद्रित कार्यक्रम बनबैत आ ओहिसँ जनजन केर लाभान्वित करबाक प्रयास करैत अछि मुदा हमर भारत ओझराएल अछि आजादी सँ लSक एखन धरि गाय गोबर मंदिर मस्जिद मुल्ला पण्डित दलित स्वर्ण मुसलमान हिन्दू तुष्टिकरण करबामे। तेँ देशक हालात जकथक पड़ल विकासक नाम पर कागजमे मिलिखा सिंह आ जमीन पर लुलहा नेंगड़ा बनल घुसकुनिया काटि रहल अछि।

भरिसक भारत चाँद सुरुज आ ताहू सँ आगू जँ किछु होय ओतय पहुँच जाए मुदा एखन धरि अपनहि अगल बगलक समाजमे पसरल भ्रामकता सँ अनभिज्ञ आ अज्ञानी बनल अछि। स्त्री आ पुरुषकेँ  कहबाक लेल एक दोसरक पूरक मानैत अछि मुदा असलियत दुनूकेँ बीच एखनहुँ जमीन आ आसमानक फराक बनल अछि। एखनहुँ देशक 50,प्रतिशत संख्याक गौरव प्राप्त करय बाली स्त्रीकेँ मनोदशा बुझबामे देश असमर्थ  अछि।

स्त्री आ पुरुखकेँ जीवन रूपी गाड़ीक दुनू पहिया अछि, तखन दुनु पहिया पर समान रूपसँ दृष्टिपात होयबाक चाहि आ से केवल पोथीक पन्नामे नहि यथार्थमे तखनहि विकासक पहिया निर्वाध दौड़ सकत। मुदा दुर्भाग्य एखनहु ई समाज स्त्रीकेँ दोसर दर्जाक इंसान मानि ओकर वेदना संवेदना स्वाभिमानक सँग अपन पुरुखवादी अहं सँ ओकर मनःस्थितिकेँ उपेक्षा करैत अपन वर्चस्व स्थापित कS ओकरा दास बनएबाक प्रयास करैत छथि।
अहिना किछु मनोभाव, एखन बस एतबे
जयमिथिला जयमैथिली जयजय मिथिलाक्षर

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