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Friday, July 26, 2019

|| नपुंसक सोच ||

जागु यौ कुम्भकरण
कहिया धरि तेसर प्रजातिक
थोपड़ी पिटय बला अद्भुत मानव जकाँ
आन लोकक बियाह मुरन पर
धोती साड़ी उठा उठाकS नचैत रहब
स्वाभिमानक श्रधांजलि दए
ओकर दुलत्ती सहैत
गरदनिमे पट्टा धारण कए
कुकुड़ जेकाँ नाङ्गैर डोलबैत  रहब

अहाँक पौरुष देखल गेल रहय जखन
मंत्री महोदय उखाड़ने छलाह
माता सीताक अस्तित्वक जड़ि
अहाँ हुनकर की उखाड़ि लेने रहियैन्ह
मैथिली माने सीता होयत छैक से तँ जनैत छी
मुदा नेता सभक मूर्खतापूर्ण आ दुष्टतापूर्ण ज्ञान पर
कल्ला नहि अलगैए
स्वामिभक्तिक तगमा नहि उतरि जाए तेँ
देखार चिन्हार होयबा सँ मात्र बचैत छी

कश्मीर केरल बंगालक मुद्दा पर
ई मुइल समाज निर्ल्लज जेकाँ
लोक सँग ढुइन्स लड़ैत रहत
मुदा अपन जननी जन्मभूमि पर
कियो कतबहु आँगुर किएक नहि उठबैत रहय
मुदा मजाल किनको बकार फुटइन्हि
उठेने रहू अपन गुलामीक झंडा उमेर भरि
मानसिक आ बौद्धिक विकलांग बनि
बजबैत रहू नपुंसक सोच सँग झमटगर थोपड़ी

यएह शाश्वत सत्य थीक जे
जहिया अहाँ मरि जाएब
मरि जाएत अहाँक सँग
अहाँक छल कपट सँ भरल जिनगीक कथा
आ अहाँक अतीत पर शोकगीत गाबि
मनायल जाएत जनमदिवस आ बरसी
बजाएल जाएत अहाँकेँ नामर्दी पर थोपड़ी
लिखि देल जाएत अहिना अहाँक तित आत्मकथा

फेर कोनो दिन एकटा अज्ञानी पागल
मिथिलाक अस्तित्व पर आँगुर उठा
कS देत फाँके फाक
उड़बैत रहत संस्कृति सांस्करक माखौल
अहाँ कानमे तुर धS निचेन भेल पड़ल रहू
हमहुँ पड़ल छी
करब की सामर्थक मोताबिक
सहैत छी आ सहैत रहब
मुदा हम अहिना अपन व्यथा सोझा अनैत रहब
मुर्दा समाजमे छी अहिना मुर्दा भेल जिबैत रहब

जयमिथिला || जयमैथिली || जयजय मिथिलाक्षर

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