Latest News

Sunday, June 9, 2019

पमरिया आ भाँट प्रजाति सँ प्रभावित मैथिल

अपना अहिठाम "नाना लगा घर तेरह" कहाबत बड्ड सुनल जाएत छल आ मुदा आइयो ई कहबी मैथिल लेल एकदम सटीक बैसैत अछि। स्मृतिमे अबैत अछि पमरिया आ भाँट प्रजाति ओना पहिने गाम घरमे प्रायः देखल जाएत छल। जँ कतहु किनको घरमे बच्चाक जनमक खबरि भेटैतहि ओ सब अपन सब ढोल झालि खँजरी नर्तक सँग आबि जाएत छल। पएरमे घुंघरू बान्हि आ कोरस बला पाँच गोट समूह सँग बधाईया गीत आ नृत्य कS बच्चाक भविष्यक शुभकामना आ बधाई दैत छल। भाँटक अपन शैली छलनि लोक भाषामे तुकबन्दी कS लोकक मनोरंजन करब।

अहि दुनु प्रजातिक जीवकोपार्जन साधन यएह छलनि। समय सँग आओरो लोक जेकाँ पमरिया आ भाँट प्रजातिक सेहो पलायन भए गेल। मुदा आब ओ प्रजातिक समयक सँग बदलल स्वरूप मिथिलामे देखल जाएत अछि। हुनकर सभक आयाम आब व्यापक भए गेलनि।

ओ सब आब गाम घरक सुख दुखमे नहि परिहैत छथि पएरमे घुंघरू। बस कखनो कतहु सँ कतहु कोनो बटवृक्षक जड़ि कोनो आओर जड़ि सँ मिला मास भरि तक झालि ढोल बजा बधाईया आ गैंरथैया नाच करैत भेटत। आश्चर्य होयत अछि विचारशून्य लोकक सोच पर। अपन जड़ि सूखा रहल छनि ओहिमे पानि ढारत से उइहि हेरायल छनि मुदा दोसरक हरियरिमे पानि ढारय लेल बेहाल भेटैत छथि। आ दिनभरि ओ सब भाँट जकाँ अल्लर बल्लर गलथोथी करैत भेटत।

नवका पमरिया आ भाँट सब पहिने जकाँ स्वतंत्र नहि,  दास बनल अछि आ केवल अपन स्वामीकेँ अरदासमे बताह जकाँ बिनु उत्सव सेहो नाचैत भेटत। आदेशपालक मात्र छथि, जखन जतयकेँ आदेश भेटैत छनि ओतहुका नामक घुंघरू बान्हि नाचय लगैत छथि।
अहिना किछु, कियो हृदय पर नहि लेब।

जयमिथिला | जयमैथिली | जयजय मिथिलाक्षर

« PREV
NEXT »

No comments

Post a Comment