दू टा नेगेटिवकेँ जुड़लासँ पॉजिटिव केवल गणिते टामे संभव छैक। असल जीनगीमे तँ अहि दूनूक मेलक परिणाम एहन होयछ जेना पथियामे पड़ल दूगोट सँड़ल आम समूचा पथियामे पड़ल आमकेँ सँड़ा दैत अछि। एकरा संक्रामक बेमारीसँ बेसी खतरनाक मानल जा सकैए जेना निको हष्ट-पुष्ट काठक बनाओल गेल टेबुल कुरसी चौकी पलँग आदि इत्यादि जँ एकबेर घुना गेल त' ओकर निदान असंभव होइछ, ठीक तहिना जेना कैंसरक रोगीकेँ काल कल्पित होयबा धरि ओकर खून चुसीते भेटैए।
जीवन भरि निराशाक निसाँमे मातल निशाचर जकाँ सगरो दिसि आत्मप्रचार हेतु नाचैत रहलाह। हिनका लेल घर परिवार समाज सगे समन्धित सब निरर्थक। केवल स्वहित पोषक काज रसगर रहलनि शेष सब नीरस। नीरस अहि द्वारे चुकी केवल अपन महत्वाकांक्षा लेल जीवनपर्यंत पारिवारिक धर्म कर्म कर्तव्यसँ पड़ायत रहलाह।
हिनकर आचार विचार व्यवहार देखि बुझबामे भाँगट नहि हएत जेना देश 2014 सँ पहिने दुनियाकेँ मानचित्र पर छलैहे नहि। अहिसँ पहिने देशमे केवल एकटा रेलवे टीसन आ दोसर चाहक दोकान रहय जाहिसँ ओ नेनपनसँ परिचित रहलाह शेष सब किछु हुनक पदार्पणक पश्चात अलौकिक चमत्कार सँ चमत्कृत भेल अछि।
भगवान बुद्ध बनबाक हेतु राजा सिद्धार्थकेँ केवल पत्नी त्यागब कारण नहि अपितु राज पाट सब त्यागि सन्यासी बनि कठोर जीवन जीवय पड़ल रहनि, संगहि ज्ञान प्राप्तिक उपरांत घर आपसी पर बिनु कहने गृह त्याग हेतु पत्नी आ बच्चा सँ क्षमा याचना सेहो कएने छलाह। मुदा हितक जीवन दर्शन सँ स्पष्ट देखल जाएत अछि जे केवल उन्मुक्त जीवन जीवाक लेल पारिवारिक जिम्मेबारीसँ मुक्ति चाहैत छलाह आ कएलाह। जहिना चानि सफाचट्ट भेलासँ कियो चाणक्य नहि कहल सकैए तहिना केवल पत्नी त्यागि देलासँ बुद्ध सेहो कदापि नहि।
जयमिथिला || जयमैथिली || जयजय मिथिलाक्षर ||
No comments
Post a Comment