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Rambabu
8:53 PM
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भूरसँ भोक्कन्नर भेल व्यवस्थाक भँवरमे दहाइत
प्रभु श्रीरामक पावन धराक
भूतिआयल भकचोंहर सब
लंकेशक चरण चारणमे लीन
अपन स्वाभिमानकेँ हवन कुंडमे झोंकि
ब्याधिग्रस्त बुधिसँ हरबिर्रो मचा रहल अछि।
छद्मवेश धारी प्रपंची विधर्मी लंकेश
भूतराकस सेनाक सँग स्वयं
भक्ति शक्ति धर्म कर्मकेँ आवरण ओढ़ि
चारु पहर चारु दिसि अनर्गल प्रवचनसँ
समाजिक समरसतामे आगि लगेबाक प्रयास कS रहल अछि।
सुनैत अएलहुँ जे नहि होयत अछि फुईसक कोनो पएर
मुदा आब ओ दौड़ैत भेटैत अछि मिलिखा सँ सेहो तेज
ओकर आत्मविश्वासक सोझा
ठेहुनिया धेने अछि आजुक हरिश्चंद्र
लोकक आँखिमे लागल अन्हरजालीकेँ
सदविचारसँ हटएबाक लेल प्रयास कS रहल अछि।
जयमिथिला || जयमैथिली || जयजय मिथिलाक्षर ||

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