"कामकें नहि काजकेँ आ दुश्मन अनाजकेँ" वर्तमान परिदृश्यमे ई कहबी एकदम सटीक बैसैत अछि। बात फेकबा लीय बड़का सँ बड़का फेकू हिनका सभ लग पानि भरत। एखन नवका नवका उगल जट्टा बला तथाकथित राष्ट्रवादी सभक राग उपराग अलगे भेटत। आब हिनका सभके महात्मा गांधीकेँ राष्ट्रपिताक उपाधि सँ पेटमे मरोड़ आबि रहल छनि। एहन कुतर्की गैंग, देश त' छोड़ू विदेशोमे भेटब मोसकिले अछि। जानि नहि माथमे कोन घुरघुरा घुसल छनि से जखन महिंस शर्मा अपन घरक देवी माता सीताकेँ टेस्ट ट्यूब बेबी सँग हुनक अस्तित्व पर सबाल ठाड़ कएने रहनि तखन त' कल्ला नहि अलगलनि, मुदा गांधीकेँ राष्ट्रपिता नेहरूकें चाचा पटेलके सरदार आदि किएक आ कहिआ सँ कहब शुरू भेल आ किएक भेल ताहिकेर प्रमाण ताक'मे सुखाएल जा रहल अछि।
अज्ञानताक आकासमे उड़ि रहल उकाठी सभक उलूल जुलूल बातसँ समाजिक समरसता सेहो खण्डित विखण्डित भए रहल अछि। अहिसँ हिनक नाकारत्मक मानसिकता सेहो उजियार होयत छनि। महात्मा गांधीकेँ बापू मानबाक कोनो कानूनी बाध्यता त' नहि अछि, जे नहि मानबैक त' सीबीआई पकरिकS चुरी कसि देत। पेटमे मरोड़ अछि त' दवाईक सेवन करू, अकारण जतय ततय घिनएबाक प्रयास कएला सँ की लाभ!
अहाँ सनक किछु आन्हर लोकसँ किछु नहि फर्क पड़ैत छैक , आई समस्त विश्व गांधी जीकेँ बापू कहि गौरवान्वित होयत अछि। अहाँ सब बापुकें हत्यारा आतंकी गोडसे केS अपन बापू मानि लीय संगहि सँग प्रज्ञा ठाकुरकेँ राष्ट्रमाता, कियो की रोकि रहल अछि। आ से मानैते हएब कारण अहाँ सनक लोकक आदर्श यएह प्रजाति रहल अछि।
कुरी कुरीमे छिड़िआयल अपन घरक लोककेँ कोना एकठाम ढेरीआओल जाए तकरा लेल कोनो प्रयास नहि, जाति पाति अगड़ा पिछड़ामे समाज सूखा कS पात विहीन नग्न गाछ बनि चुकल अछि से कोना हरिआएल जाए, ताहिलेल बुधि हेरायल अछि। कोना बेसी सँ बेसी अपन समाजक लोककेँ देशक महापंचायतमे स्थान भेटैक तकर सोच निपत्ता अछि, खाली बकलोली करैत रहब बापू चाचा सरदार नमो चाणक्य फ्ललां चिल्ला आ जिनगी भरि दोसरकेँ झोरा उघैत कतहु ओंघराइत पेट पोसैत रहब।
स्वाभिमानके श्रधांजलि दए चुकल कुतर्की गैंग सभक कुतर्कक कारण मिथिला शिथिला बनिकS रहि गेल अछि। मिथिला केवल आब प्रपंची लोकक झोरामे समाएल अपन अस्तित्व लेल झखि रहल अछि। मनोयोग लेल जानल जाएत छल से आब मनोरोग सँ पाटल अछि।
अहाँक जन्मे भेल अछि दोसरक बियाह दान पावनि त्योहारमे नांचि गाबि कS थोपड़ी पिट्य लेल जेना की समाजमे तेसर प्रजातिक होयत छैक। करोड़ो जनसंख्या बला क्षेत्रक ई बदहाल केवल आ केवल शारीरिक आ मानसिक नपुंसकता कारण अछि। अहिना किछु फुरा गेल, ओना लिखबहक त' बहुत किछु अछि मुदा आब बस, फेर कहिओ
जयमिथिला || जयमैथिली || जयजय मिथिलाक्षर
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