असँख्य योजनासँ अघाएल
पंचवर्षीय खद्दरधारी भीखमंगाक अहि देशमे
समाजक इंद्रधनुषी व्यवस्थाक रँगकेँ
बेसुरा राग भासक तरुआरिसँ तहश-नहश कS
राकस सब एकाधिकार निरंकुशताक नांगड़ि पकड़ि
अपँग बनएबाक प्रयासरत अछि।
राम कृष्ण आ बुद्धक भारत
ईशा मसीह आ नानकक भारत
वेद आ पुराणक भारत गीता आ कुराणक भारत
शुद्ध सुधायुक्त सुरमयी भारत
आब बदलिकS बनि गेल अछि नवका भारत
ई सतरंगा नहि एकरँगा भारत, बदरंगा भारत
जाहि भारतमे उद्योगपतिक तरमे मस्त अछि सरकार
पसरल छैक सगरो भूख भय आ भ्रष्टाचार
आमलोक सब अछि लाचार जतय चोर बनल अछि चौकीदार
अजुका भारत, नवका भारत
उड़ीसाक कालाहांडीक दानामांझी बला भारत
गरीब दुखिया जन मजूर बेरोजगार मजबूर
ओकर फाटल जेबी सँग फुटल ओकर भाग्य
अन्न पानि बिना दिनानुदिनसँ उपास पड़ल चूल्ही
निशक्त भेल देहसँ विमार धर्मपत्नीकेँ
आ सरकारी अस्पतालमे पाय कौड़ीक अभावमे
अकाल मृत्युसँ नहि बचा पौलक।
खून खौल जाएत अछि स्मृतिमे अबितहि ओ दृश्य
जखन दानामांझी अपन मुइल धर्मपत्नीक लहासकेँ
फाटल चिटल गुदरीसँ घास-फूस जकाँ गेठरी बान्हि
अपन कन्हा पर लादि
दस किलोमीटर धरि पैदल चलैत अछि मुदा
तखनो दानामांझीकेँ खून नहि खौलैत अछि कारण
ओ एकरा अपन नियति मानि चुकल अछि
दस किलोमीटर धरि पैदल लहास लS उठैत बसैत
माथ पीटैत, दहोबहो कानैत अपन दुर्भाग्य पर
मुदा ई लहास कन्हा पर केवल दानामांझीक धर्मपत्नीकेँ नहि
ई लहास छल लोकतंत्रकेँ, ई लहास छल लोकतंत्रक महापंचायतक, ई लहास छल समाजकेँ संवेदनहीनताकेँ, अजुका भारतक भावनाकेँ, समरसताकेँ।
ई लोकतँत्रक कपार पर लागल एहन दाग अछि जे नवका भारतक सत्तसँ दर्शन करबैत अछि।

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