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Saturday, April 13, 2019

||★★|| शिखण्डीक सेना ||★★||

लड़ाई महाभारतक होय किंवा आजुक भारतक
अहिमे धर्म अधर्म सुकर्म कुकर्म सनक शब्दास्त्र
राजनीतिक अलंकार मात्र रहल अछि।
येनकेन प्रकारेण सत्ता हथिएबाक हठ सँग
एकाधिकार वर्चस्व वैभव पाएब केवल कामना
आ यएह कटुसत्य रहल अछि।
कपटी जुआरी शकुनी एखनहुँ
धृतराष्ट्रक सभामें अहोभाग्य बनल
ससम्मान सजि रहल अछि।
अड़ल अछि निज स्वार्थ साधS लेल
अहंकारी विधर्मी दुर्योधनक हठ आ
ओकर समक्ष स्वाभिमानकेँ श्रधांजलि दए
जी हजूरी करैत नतमस्तक भेल ठाड़ अछि
तेसर प्रजातिक शिखण्डीक सेना।
पाण्डवक ऐश्वर्य वैभवसँ विक्षिप्त
अछैत आँखि अन्हराएल दुर्योधन आ ओकर सेना
मामा शकुनिक मार्गरदर्शनमे एकबेर फेर
द्यूत क्रीड़ा 'चौसर' पसारि देलक अछि
महाभारते जकाँ दांव पर केवल द्रोपदी नहि
देशक लाज सेहो लागल अछि मुदा
दुर्भाग्य अहि देशक जे
कृष्ण स्वयं कोनो कोन्टा करोट धेने नुकाएल
अपन लाज बचएबाक जतनमे कानि रहल अछि।
जयमिथिला || जयमैथिली || जयजय मिथिलाक्षर ||
रामबाबू सिंह मिथिला
   १३.०४.२०१९
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