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Monday, October 17, 2016

"मुँह में राम बगल में छुरी"

अहंकार जँ आएल अभियान में
तखन बुझु गेल महिस पानि में

सामाजिक घिंच घांच आओर ऐंचा तानी कोनो नव गप्प नहि थिक। बेर बेर चोट खेलाक बाद लोहा सेहो अपन आकार बदलि लैत अछि फेर हाड़ मांसक बनल हम मनुख के अपने पुरान घाव सँ बहैत पिज किएक नहि देखाय दैत छैक? ओकर पीड़ा किएक नहि आंदोलित करैछ? या तँ हमरा सभ जानि बूझिकय अपन बुद्धि पर पड़ल जल्ला हटाब नहि चाहैत छी या अपन स्वार्थ सिद्धिक मार्ग अहि सँ देखै छी। इतिहासक बात हम सभ सदिखन करैत रहैत छी। अपन अपन श्रीमुख सँ सामाजिक मन्च पर चर्चा सेहो करिते रहैत छी मुदा स्वयं द्वारा उच्चारित शब्द जखन स्वयं पर प्रतिस्थापित करबाक अवसर अबैत अछि तखन हम बाम दाहिन ताकिकय "मुँह में राम बगल में छुरी" बाला लोकोक्तिक चरितार्थ करैत छी।

हम कोनो विद्वान आ नहि कोनो शास्त्र ज्ञाता छी, एकगोट आम मनुख होयबाक कारणे जे किछु देख रहल छी आ जे अनुभव कय रहल छी से अंतर मन के व्यथित कय रहल अछि। आ पीड़ा एहन जे रहि रहि कय टिस मारैत अछि। मुदा अहि पीड़ाक कियो बुझय बाला आ ने अनुभव कियो करय बाला अछि? जे वरखो वरख सँ पेरायत रहल अछि ओकरा मन मस्तिष्क के कचोटैत रहैछ तकरा अवश्ये मोन व्यथित हेतै? एकटा आम मनुखक अपेक्षा सामाजिक सरोकार राखय बाला मनुख सँ होयत छैक जे सामाजिक रंगमंच पर अपन अपन भूमिका संजीदगी सँ करथि तेहन भावक घोर अभाव देखल जाएत अछि आ एकर इतर अयोध्याक राज सिंघासनक मनोभाव पोषित कय अखाड़ा पर ताल ठोकय बालाक संख्या बेसी छैक।

समाज सँ सम्बेदना समाप्त भ गेल अछि। जतय रघुकुलक रीती रिवाज स्वयं संचित संस्कारक समावेश हेबाक चाहि ओतय आई लक्ष्मण रामक खिलाप शस्त्र उठौने ठाड़ भेल देखल जा रहल अछि। अजुक उद्देश्य मात्र अपन वर्चस्व स्थापित कय उच्च पद धरि पहुँचब होयत छनि। ओकर जन कल्याण वा समाज बसए या उजरै ताहि सँ कोनो आत्मीय सरोकार नहि होय छनि, खाली हमरा लोक पुछारी करय मतलब स्वयं के सर्वश्रेष्ठ घोषित करबा लेल रावण जेकाँ अपनों कुलक समूल नाश करबा में कोनो लाज नहि होय छनि। मंत्रणा अगबे हमर उदघोष आओर जय जयकारक। रावण में जाहि प्रकारक अहंकार जे "एको हम न द्वितीय अस्ति, न भूतों न भविष्यति" आर सभ तरहक साम दाम दण्ड भेद के पोषित कय मात्र अपन नाम चमकेबाक उद्देश्य सँग पहिल क्रम में स्थापित करबाक इच्छा छलनि ।

तहिना आजुक सामाजिक मन्च कलाकार सभ करैत छथि। मञ्च साझीदारीक पद प्रतिष्ठा लेल अतेक महाभारत जेना की कोनो जमीन जत्था आ राजगद्दिक लेल? एकटा कहबि छै ने "धन नै दौलत छुच्छे गौरव" आ "लँका में जे सभसँ छोट से उनचास हाथक", मने अपन जनाधार बढेबा आ लोकप्रियता स्थापित करबा लेल मूढ़ जेकाँ आधारहीन बात करब एक दोसर सँग राँरी बेटखौकी करब, यएह हिनका सबहक लक्ष्य प्राप्तिक ब्रह्मास्त्र बुझाइत छनि। जे कतिपय कोनो राजनीती आ गैर राजनीती दल केर लेल उचित नहि थिक। अपन उप्लब्धिक सँग भविष्य कार्य योजना मात्र लक्ष्य धरि पहुंचेबाक साधन बनत, से जरूर याद राखि????

मुदा अहि सबहक घमासान में हमरा सनक संबेदंशील मनुख जखन दर्शक दीर्घा में बैसि तमाशा देखैत अछि तखन साइत लूटल पिटल हताश थाकल हारल मूरख बनि निराश मोन सँ घर दिस डेग बढ़ा आबि जाएत अछि। कारण आजुक परिवेश में सामाजिक रँगमन्च पर मन्चन राम आओर रावणक युद्ध के नहि अपितु राम आओर लक्षमनक श्रेष्ठताक कएल जाएत अछि जतय पराजित अगबे हमरा सनक आम जन होयत अछि।

पृथ्कमिथिलाराज्य
जयमिरानीसे जयमिथिला जयजानकी

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