एकटा महिला अपन परिवार सभक लेल भोजन बनाब के साथ एकटा रोटी सब दिन भुखल व्यक्ति के लेल बनाबथि जे घरक खिड़की सँग राखि दैत छलिह जाहि सँ कियो भुखल गरीब आबि ल जा सकैए। एकटा कुबड़ा व्यक्ति रोज आबि बिना कोनो आभार व्यक्त कएने ओहि रोटी के लक चलि जायत छलाह। चलैत काल कुबड़ा बड़बडायत रहैत छल कि "जँ बेजाए करबह से अहाँक संगे रहत आ जँ निक करबह तखन घुमि कय अहिं लग आबि जएत"।
समय ठीक अहिना जाइत रहल आ संगहि दिनचर्या सेहो अहिना चलैत रहल मतलब कुबड़ा रोज रोटी लक अहिना बड़बडायत चलि जएत रहल छल "जँ बेजाए करबह से अहाँक संगे रहत आ जँ निक करबह तखन घुमि कय अहिं लग आबि जएत"।
कुबड़ा के स्वभाव सँ महिला दुखी भ गेलिह आ मने मन सोच लगलिह जे ई केहन व्यक्ति छै जे आभार व्यक्त कएनाइ त दूरक बात,उनटा किछ ने किछ बड़बडायत रहैत अछि। एकर मतलब की छैक? एक दिन खिसियायल निर्णय लेल कि आब अहि कुबड़ा सँ जान छोड़ेबाक अछि। आउर महिला रोज के कुबड़ा बाला रोटी में जहर मिलाकय बना देलिह आ जखने रोटी के खिड़की सँग राख लेल गेलीह कि अनायास हुनकर हाथ काँप लगलनि आ रुकि गेलिह आउर कहलनि- हे भगवान हम ई कि करय जा रहल छलहुँ? आ जल्दी सँ ओइ रोटी के आगि में झोंकी जरा देलिह। फेर एकगोट दोसर ताजा रोटी बनेलिह आ खिड़की सँग राखि देलिह।
सब दिन जेका कुबड़ा अएल अपन रोटी उठेलाह आ फेर सँ ओहिना बड़बडायत चलि देलाह कि जँ बेजाए करबह से अहाँक संगे रहत आ जँ निक करबह तखन घुमि कय अहिं लग आबि जएत।
बिना किछ महिला के विषय में सोचैत कि हिनका मोन मस्तिष्क में की चलि रहल छनि कुबड़ाअपन धुन में मगन चलि जएत रहल।
महिला रोज अपन पुत्र के मंगल कामना हेतु भगवान सँ सदिखन पूजा अर्चना करैत छलिह आ सब दिन जखन खिड़की सँग रोटी राखथिन त भगवान सँ अपन पुत्र के स्वस्थ सुन्दर आ घर अयबाक प्रार्थना करैत छलिह जे अपन सुन्दर भविष्य निर्माण के लेल परदेश गेल छलाह आ महीनो सँ हिनकर कोनो समाद नहि भेट रहल छलनि।
ठीक ओहि दिन साँझ कय घर के दरबज्जा खटखटाब के आवाज अएल, दरबज्जा खोइलते अपन पुत्र के सोझा में देखिकय चौंक गेलिह। देखलक दुब्बर पातर भ गेल, ओकर वस्त्र सब फाटल चिटल, भुख्खल आ भूख सँ कमजोर सेहो भ गेल छल।
जहिना अपन माँ के देखलक, वो कहलाह माँ ई एकटा चमत्कार बुझु जे आई हम अहाँक समक्ष एतय ठाड़ छी। आई जखन घर सँ किछ दुरी पर छलहुँ कि हम भूख के कारण जमीन पर खसि पड़ल रहि। जान चलि गेल रहैत लेकिन एकटा कुबड़ा के दृष्टि हमरा पर पड़ल आउर उ हमरा गोदी में उठा लेलक। भूखक मारे हमर प्राणान्त होइए बाला छल। हम हिनका सँ खए के लेल किछ मंगलहू उ निःसंकोच अपन रोटी हमरा ई कहि क देलक कि हम रोज येअह रोटी खाइत छी, मुदा आई हमरा सँ बेसी अहाँके जरुरी अछि। से ई लीय आ अपन भूख के तृप्त करू। जहिना माँ ओकर बात सुनलक, हिनकर चेहरा पियर पड़ि गेलनि आउर स्वयं के सम्हारैत मन मस्तिष्क में एक साथ बहुते रास बात घुम लगलनि कि कोना भोरे रोटी में जहर मिला देने छलिऐ? जँ रोटी के आगि में नहि जरा देने रहितहुँ तखन पुत्र वएह रोटी खाकय मृत्यु के प्राप्त कय गेल रहैत?
आउर तकरा बाद महिला के ओइ शब्द केर सही मायने में अर्थ बुझ में आबि गेलनि कि किएक कुबड़ा ऐना रोज बाजैत छल " जँ बेजाए करबह से अहाँक संगे रहत आ जँ निक करबह तखन घुमि कय अहिं लग आबि जएत।
अहि कथा सँ निष्कर्ष आ शिक्षा ई भेटैत अछि कि मनुख के सदिखन निक आ समाजहित काज करैत रहबाक चाहि। निक काज करबा सँ स्वयं के कखनो नहि रोकक चाहि, फेर चाहे ओइ काज के लेल ओहि समय सराहना वा प्रशंसा भेटय या नै।
हमर आशा अछि कि ई प्रेरणात्मक कथा सुनि आ जीवन में आत्मसात कयला सँ जीवन में नव चेतनाक विकास भ सकैए। जीवन के मूल सार यएह अछि एहन कथा सँ बहुते के जीवन के बदलि सकए अछि। जय मिथिला जय माँ जानकी।
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