कहिया धरि अहिना मिथिलाक दुर्दशा पर बौक बनल रहब हमसभ आ उपेक्षित होयत सहिष्णुता के आवरण में झाँपने रहब? मिथिलाक अस्मितता लेल उखारि फेकू सरकारक दोगला चरित्र के, जे अपन अपन क्षेत्र के विकासक संज्ञा बिहार के विकास कहै छथि। स्वाभाव सँ मैथिलजन प्रबुद्ध आ कुशल राजनीतिज्ञ होयत अछि मुदा अपने घर में कतेको बथान बनेने छथि से सबसं प्रमुख समस्या छैक।
अइ सब में निक बात अछि कि लक्ष्य सबहक एके छनि। मात्र संकल्प लेब पड़त संघर्ष में एकजुट होबाक लेल आ घरे घर जे लक्ष्मण रेखा घींचल अछि ओकरा समाप्त करबा लेल जखन उद्देश्य एक अछि "पृथक मिथिला राज्य निर्माण"/ बिहार सँ मिथिलाक आजादी तखन सबकियो एकटा झन्डा उठाकय किये नहि शंखनाद करै छी? किएक नहि माँ जानकी केर सेना बनि मिथिला आ मैथिलहित के संघर्ष में डेग सँ डेग मिलाकय आन्हर बहिर सरकारक माथ पर तांडव करै छी?
पहिने मैथिलजन एकत्रित होउ, अगबे फांकी देने आ एक दोसर पर आरोप प्रत्यारोप वा टाँग घींचने आन्दोलन नहि हएत? आन्दोलन के मतलब अपन शारीरिक सामर्थ्य के मोताबिक सब तरहे पूरा जोश खरोश के सँग माँ जानकी केर झन्डा सँग हल्ला बोल प्रदर्शन करू। हमरा सबहक बीच में जे व्यक्तिगत द्वेष भाव ईष्र्या केर लकिर अछि, ओकरा सर्वप्रथम श्रधांजलि देल जाए।
ओना मिथिला में मैथिलजन के अन्तर आत्मा में अप्पन राज्य बनय से सुलगि रहल अछि । सर्वप्रथम मिथिला राज्य के विषय में पूर्ण जानकारी घरे घरे बुझा देल जए। हमर आशा नहि पूर्ण विश्वास अछि मैथिलजन सुतल नहि अछि, सबहक हृदय बिहार सरकारक दुष्ट प्रवृति आ मिथिला के प्रति सौतेलापन सँ व्यथित छैक जे एक बेर जँ जागि गेल तखन अपन मातृभूमि के लेल सर्वस्व न्योछावर करबा में कखनो पाछा नहि रहताह।
जय मिथिला जय माँ जानकी।
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