विगत साल जखन राजपथ पर 35000 व्यक्ति एक सँग योगा कार्यक्रम में भाग लक एकटा विश्व में कीर्तिमान स्थापित कएलाह संगहि योग के व्यापक मतलब सेहो लोक सभ परिचित भेल। योग के साफ़ साफ़ मायने होय छैक जोडब आ जोडब् के मायने नहि मात्र अपन लोक आ देश अपितु वैश्विक स्तर पर जोड़ल गेल। योग सँ शारीर के मोन सँ मोन के आत्मा सँ आर आत्मा के परमात्मा सँ जोड़ल जएत अछि। लगभग 5000 साल पुरान शारीरिक मानसिक आर आध्यत्मिक अभ्यास हमरा स्वयं सँ जोड़ैत अछि। योग सिखय बाला के संख्या लगभग 40% धरि सालाना वृद्धि भ रहल अछि। खर्च में कमी आ उत्पाद बढ़ेबाक लेल देश के लगभग 50% कम्पनी में योग करायल जएत अछि। योग प्रशिक्षक केर माँग नै मात्र भारत में अपितु वैश्विक स्तर पर बढ़ि रहल अछि। अहि लेल देश में योग के 14 लाख स्कुल, 50 कॉलेज आ विश्वविद्यालय में अहि सन्दर्भ में पढ़ाएल जा रहल अछि। योग के आब केंद्रीय विद्यालय में प्रथमिकता देल जएत।
एकर आर्थिक सन्दर्भ में एकटा खबर के मोताबिक योग आउर आयुर्वेद में लगभग विश्व में 120 अरब के बाजार छैक। एक साल में योग उद्योग 50% सँ बढ़िकय 2.50 लाख करोड़ रुपैया धरि पहुँच गेल अछि।वैश्विक स्तर पर एकर व्यवसाय 5 लाख करोड़ सँ बेसी भ चुकल अछि। इ कॉमर्स कम्पनी में सेहो योग के सन्दर्भ में 80% सँ बेसी व्यवसाय बढ़ि गेल अछि। देखल जए तखन योग के मायने व्यापक थिक मुदा योग के धर्म आउर राजनीती दृष्टिकोण सँ देखब उचित थिक या नहि। योग के कारण्र सँ लोकक मानसिक संतुलन चुस्त दुरुस्त मस्त आ योग्य बनि जएत अछि। योगा के विषय में 27 सितम्बर कय यूनाइटेड नेसन् में जखन प्रधानमंत्री अपन बात रखला आशा नहि छल कि अतेक शीघ्र 177 देशक समर्थन भेट जएतन्हि। 21 जून भारतीय पञ्चांग के आधार पर योग दिवस मनेबाक तारीख राखल गेल जेकर सर्वसम्मत सँ स्वीकार कएल गेल। योग बीमार के निक करय बाला व्यायाम मात्र नहि थिक अपितु कौशल विकास के लेल योग एकटा विद्या अछि। "मोन चंगा त कठौती में गंगा" आउर चंगा मोन के लेल योग आवश्यक औजार अछि।
अंतिम एकटा आर बात जे अहिठाम चर्चा कएनाइ बड़ जरुरी थिकैक कि पश्चात् संस्कृति सँ हम बूझि ने कुन कुन डे के अपना लेलहुँ अछि। अनगिनत अछि जेना मदर डे, फादर डे, वैलेंटाइन डे, रोज़ डे, चॉकलेट डे आर बहुते रास डे जे पश्चिमी देशक बाजार नुक्का छिप्पी खेलते हमरा सबहक माथ पर ठेल देलक आ हमरा सबके मनाब पड़ैत अछि, आ जँ बिसरि गेलहुँ या नै त घर में घुरपेंच लागि जएत।
जखन अतेक सब डे पश्चिमी संस्कृति के हमरा सब आब अपने बुझैत छी तखन योग जे नै मात्र शरीर मोन आत्मा सँ जोड़ैत अछि अपितु देश विदेश के एक सूत्र में बान्हि रहल अछि। एहन उत्सव के हर्षोल्लास सँ मनेबा में कोनो दिक्कत नहि? आ नै एकरा धर्म आ राजनीती चश्मा सँ देखबाक चाहि।
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