अजीब देश है जिस गृह मंत्रालय के पास देश भर के तमाम खुफिया जानकारी होती है उसी का एक अफसर गायब हो गया। मंत्रालय का एक से एक भेद और उसी भेद के चक्कर में भ्र्ष्टाचार में फंस गया। CBI ने उनके घर पर छापा मारा था एक फ़ाइल के चक्कर में उनसे फिर पूछताछ होनी थी लेकिन उससे पहले गृह मंत्रालय का ये भेदिया एक चिट्ठी छोड़कर भाग गए।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी आनंद जोशी ने खत में लिखा की मैं देश का सेवा ईमानदारी से करता रहा हूँ लेकिन मेरा ईमानदारी कुछ अफसरो को अच्छा नही लगा और मेरे ऊपर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कर दिया जिससे मैं बहुत ही मानसिक तनाव से गुजर रहा हूँ। आरोप है की विदेशो जे जो चन्द NGO के लिए आती है उस फ़ाइल में सीबीआई ने कुछ गरबरियाँ पायी जिसके विषय में आरोपी बनाया था। दरअसल FCRA (Foreign Contribution Regulation Act)की मंजूरी के लिए NGO से पैसे वसूलने की जानकारी थी।
यहाँ तक अपने सीनियर के खिलाफ वो जाँच के लिए बोल रहे थे की वो उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर रहे है। लेकिन अचानक बेगुनाही साबित करने से पहले टूट कैसे गया ? आनंद जोशी ने जो आरोप लगाया वो हिला देने बाली है। वो कहते है की फोर्ड फाउंडेशन को काली सुची से बहार करने लिए उसकी कीमत 200 करोड़ रुपये लगाईं गई थी लेकिन वो बिकने के लिए तैयार नही हुए तो झूठे मामले में फंसा दिया गया। हमे उनके हाँ में हाँ नही मिलाने की सजा दिया है। तीस्ता तलवार की NGO सबरंग से जुडी फ़ाइल गायब होने की बात हुई बाद में वो फाइले मिल भी गई परन्तु अभी तक यह एक राज ही है कि कैसे फाइल अपने आप ऑफिस पहुच गया।
लेकिन उनके घरवाले कहते है की ये मंत्रालय की बड़े मंत्री की साजिस है। आरोप है कि अहम सरकारी जानकारी के आधार पर NGO को FCRA का नोटिस जारी कर उनसे पैसा वसूलते थे। इस कैटगोरी में वो NGO शामिल है जिसे विदेशो से मोटी रकम मिलते थे। परन्तु जोशी ने साफ़ साफ़ कहा था की उन्हें ईमानदारी की सजा मिल रही है। एक आनंद जोशी जो फाइले घर ले गए और किसीको खबर तक नही लगी और आज एक चिट्ठी छोड़कर ऐसे गायब हो गए ये बहुत बड़ा सबाल है सीबीआई के लिए। क्योंकि सच को सामने लाने के लिए आनंद जोशी को ढूँढना बहुत जरुरी है।
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