उन्हें बस इतना पता था कि बड़े बड़े विद्वान लोग उनके खेत खलिहान में चर्चा करेंगे। विचार कुम्भ के नाम पर ऐसा खिलवाड़ हुआ है कि बेचारे किसान खून के आँसू रो रहे है। जिन खेतो में पहले फसले लहलहाया करती थी उनमे काले तारकोल से कंक्रीट का एक मजबूत सड़क बना दिया गया है। खेतों के बीचो बिच हाई वे जैसे सड़के निकल आई है। हवाई लोगो के लिए फसलो को नोचकर हेलिपैड बनबा दिए है।
वैचारिक कुम्भ के लिए किसानी का सत्यानाश करने से पहले एक बार भी विचार नही किया सरकार से लेकर शासन प्रशासन के विद्वानों ने की हमलोग चले जाएंगे तो किसानो का क्या होगा ? सिंहस्थ कुम्भ के दौरान उज्जैन के निनोर में 12 से 14 मई में वैचारिक कुम्भ की महफ़िल सजाई जा रही है। आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत उद्घाटन करेंगे। देश विदेश के विद्वान अपने अपने विचारो के मन्थन से अमृत निकालेंगे और इन सारे नाटक के लिए किसानो के साथ क्या क्रूर मजाक हुआ है ये किसान से सुन सकते है।
सरकार ने यहाँ के किसानो का 25 बीघा जमीन अधिग्रहण किया है। सिर्फ 4000 रुपये बीघे के हिसाब से मुआबजा दिया गया है। 4000 में पिछले साल से ही किसानी बन्द कर दी है। किसान कहते है कल को उनकी जमीन तो मिल जाएगी लेकिन जिस तरीके से जमीन पर कंक्रीट की सड़के बना दिया है उसको हटाएगा कौन और आगर हट भी गया तो फसल उगने में बर्षो निकल जाएगी ?
मोदी आएँगे भागवत आएँगे इसलिए शिवराज सरकार पिछले साल ही जमीन किसानो से छीन ली थी। सोयाबीन की फसल नही लगी। 4000 रूपलि के टुकड़े पर सरकार ने किसान को बर्षो तक के लिए बर्बाद कर दिया है। किसान सिर पर हाथ धड़ा बैठा है। उसे कहाँ पता था की विचारो के कुम्भ पर कोलतार से लीपकर किसानी चौपट कर देगी।
तिन तिन पक्के हेलिपैड बना दिए है। पाँच से ज्यादा पेड़ को जड़ से उखाड़कर फेंक दिया है। भारी भारी मशीनों से जमीन को कुचले जा रहे है रात दिन। और यहां दिल्ली की तरह कोई NGT भी नही आता की ऐसे श्री श्री के कारनामो पर दुखी किसान के जख्मो पर मरहम लगाए। किसानो को बनाने और बसाने के नाम पर वोट लेते है और आखिर में उन्हें ही ऊजार देते है।
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