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Sunday, April 3, 2016

बिहार: मदिरा पर प्रतिवन्ध खुशहाली प्रदेश के लेल नितान्त आवश्यक/ Great initiative taken by Nitish Government/ Banned Alcohol

मदिरा स मुक्ति सुखी जीवन के लेल आवश्यक

भगवान बुद्ध के कथन अछि कि जाहि राज्य में  मदिराक सेवन आदर हएत ओतय महाकाल के अभिशाप स नाश होयत चलि जएत। अकाल पड़ि सकय, औषधि सब काज केनाइ बन्द क सकय आ चारु कात स विपत्ति घेर सकए। बिहार में आब बहार के शुरुआत कहि सकय छि। ई वास्तव में सबस पैघ काज कएलाह नितीश जी जाहि हेतु हिनका कोटि कोटि धन्यबाद। मद्यपान पर पूर्ण प्रतिवन्ध बिहार के लेल अपार हर्षक विषय अछि। एखन टटका टटकी बात छैक हमरा गामक साझा करबाक मोन होइए। छैठ पूजा में गाम में रहि। साँझ में अदभुद दृष्य देखलहुँ ग्रामीण महिला लगभग 300 केर संख्या में हाथ में बारहनि सोटा छीटा सटका लेने दौड़ल जए संगहि जोर जोर स नारा सेहो लगबैत शराब के दोकान के खिलाप। हउ बाबू कनिये काल बाद समाचार भेटल कि महिला सब दोकान के तोड़ि फोड़ि क सबटा शराबक बोतल नाश कय देलक ।

मदिरा पर प्रतिवन्ध गाम घरक हिंसा स मुक्ति

फेर पुलिस पंचायत सब अएल मुदा ग्रामीण सब सेहो महिला संग कदम ताल करय लगलाह कारण आर कोनो उपाय ना छल । हिनकर सभक आत्म विश्वास अ साहस देखि मोन में नव तरंग जेका दौड़ि गेल कारण पहिल बेर गाम में एहन असाधारण घटना देखक अवसर भेटल। बिच गामहि में शराब पीबाक प्रथा अदौकाल से चलि रहल परम्परा के नाश भेल। गामक लोग सेहो खुश छथि कारण पहिने साँझ होयत गाम में कोनो ने कोनो कात व्यर्थ में झगड़ा झाँटी होयत छल। संगहि गाम में 30 स 35 साल के छोट वरन के लगभग लोग शराब के कारण काल के ग्रास भ चुकल अछि। सरकार के ई कदम सं बिहार में पैघ बदलाव आबि सकय अछि जेना घरेलु हिंसा, कलह, बीमारी, पारिवारिक आ आर्थिक रूप स सेहो गाम घर मजबूत हएत।

आखिर शराब की छै आर कोण प्रकारे मनुख के जीवन प्रभावित करैत छैक-

मदिरा चाहे देशी हुए आ चाहे बिलायती, जे वस्तु स मादकता के प्रभाव होयत अछि ओकर नाम "इथाइल अल्कोहल" आ आम भाषा में एकरा "अल्कोहल" कहैत छैक। गुणवत्ता के हिसाब स मदिरा में 1% स लक 59% धरि मिश्रण रहैत छैक। मादकता बढ़ाब में येह एकटा प्रमुख कारण आ मनुख अपन स्वयं पर नियंत्रण के संगहि स्वास्थ्य पर बड़का क्षति पहुचबैत छथि। मदिरा सेवन के तुरन्त आहार नली सोइखि लैत छथि फेर रक्त में मिल जायत अछि। ओना शरीर में प्राकृतिक रूप स लगभग 4% अल्कोहल के मात्रा विद्यमान रहैत अछि जे कोशिका के माध्यम स शक्ति में परिवर्तित करैत अछि आ येह शक्ति प्रतिदिन के शारीरिक क्रियाकलाप में काज अबैत अछि।

मदिरा पारिवारिक कलह के प्रमुख कारण

मुदा जे बेसी मात्रा में आर निरन्तर पिबैत छथि त हिनकर कोशिका के शक्ति में परिवर्तित करय लेल बेसी काज आ मेहनत समय लगैत अछि। कारण शरीर क्षीण निर्बल आ बहुत प्रकार के बीमारी के घर बनि जायत छैक जाहि स छोट छीन रोग स लड़बाक क्षमता सेहो शरीर के नै रहि जायत छै। मदिरा सेवन स शरीर में स्फूर्ति जे कियो बुझैत छथि ई मानसिक रोगी कहि सकय छि।एकर सेवन स मस्तिष्क सिथिलता,लड़खड़ैत चाल संगहि आवाज, बेहोस धरि भ जाइछ, कतेको बेर साँस सेहो रुक लगैत छैक आ मरणासन स्थित भ जायत छैक।

मदिरा शरीर के लेल जहर

मदिरा सेवन स शरीर में लाभ कनेको नै हानि सुनिश्चित। पिला स थकान दूर हएत आ स्फूर्ति अएत से स्पष्तः झूठ अछि। देखा देखि पहिने सौख शुरू करैत छथि बाद में मजबूरी भ जायत छन्हि। ते हेतु कोनो परिस्थिति में मदिरा के छुबक नै चाहि। एकर सबस पहिने परिवार पर फेर समाज पर प्रतिकूल प्रभाव परैत अछि। आर्थिक रूप स लोग के भिखारी बना दैत अछि, लोग एकरा अधीन में आबि चोरी चपाटी करबा में सेहो लज्जा नै बुझैत छथि। एकटा भयंकर मानसिक रोग जेका बूझि एही दुर्व्यसन स दूर रहि स्वस्थ जीवन जीवक प्रयास करक चाहि।

गांधी जी कहलाह की ज हम एक घन्टा के लेल सर्व शक्तिमान शासक बनि गेलहुँ तखन सबस पहिने मदिरालय पर ताला जरि देब।

सत्यानाशी मदिरा स आत्मरक्षा

मदिरा मनुखक शरीर के तिल तिल गला दैत अछि। शारीर आ मष्तिष्क के बर्बादी,धन के अन्धाधुन्ध तबाही और दूरगामी सामाजिक परिणाम दैत अछि जाहि स सब प्रकारे विनाशे होयत अछि। अर्थात समझदारी अहि में अछि की अहि सर्वभक्षी असुर स अपन समय के ख़राब होब स बचेबा में किछ ठोस कारगर प्रयास कयल जाए।

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