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Thursday, April 7, 2016

देश के नौ राज्य सूखे की चपेट में// क्या जीने के लिए पानी से बढ़कर भी कोई समस्या हो सकती है ?

पानी रे पानी तेरा रंग कैसा ?
हमने इतनी तरक्की कर ली है की अब पहली जरूरत बन चुकी है पानी, सुप्रीम कोर्ट तक को कहना पर रहा है की सरकार की आँखों का पानी मर गया है। जो प्यासे लोगो का दर्द दिखाई नही देता , ये किसका विकास है कैसा विकास है की पानी के लिए तरस गए है लोग और उन्ही के देशो के लोग डॉलर के मामले में दुनिया के देशो से होड़ ले रहे है। कोई फिकर नही है किसानो की और ना ही सरकार अपनी जिम्मेदारी समझ रही है। जब देश के नौ सूबों में नजरो का पानी सुख चूका हो तो आप ऐसे में आँखे मूंदे कैसे रह सकते है ? ये आरोप कोई मिडिया या विपक्ष ने नही लगाया है सरकारो के काम काज पर देश के सर्वोच्च न्यायालय की टिपण्णी है ये। सूखे पर सरकार की उदासीन पर आखिरकर अदालत को कहना ही पड़ा" आप राज्यो के दिक्कत पर आँखे बन्द नही कर सकते, इसके लिए जरुरी कार्रवाई करनी ही होगी, सरकार अपनी जिम्मेदारी समझे। इस समय देश के नौ राज्य सूखे की मार झेल रहे है, इनसे कैसे मुंह मोड़ सकते है ?
अब सुप्रीम कोर्ट ने पानी के लिए सरकार को चेताया
कितने भयानक दौर में जी रहे है हम की सुप्रीम कोर्ट तक का कलेजा फट चूका है, यह देखकर की देश का किसान माटि पर माथा पटक कर जान दे रहा है इसे रोकना होगा लेकिन किसानो के वोट से बना सरकार मुस्कुराते है जैसे रामराज्य स्थापित कर दिया हो। "पर ड्राप आल ड्राप" नारे पर मत जाइए नियत पर नजर घुमाइए। रिपोर्ट महीनो से दिखाया जा रहा था लेकिन सरकार सियासत की पानी में डुबकी लगाकर सूखे का पर्दा तैयार कर रही थी। लेकिन एक याचिका के सुनबाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को इस परदेदारी की तयारी पर क्रोध आ गया। चमकती धमकती दुनिया के सामने बेरंग तस्वीर जो हमारे दिलो को झकझोड़ती है कचोटती है और यही है देश की बेरौनक सच्चाई जिस पर आँखे मूँद कर बैठे है सरकार। किसीका कलेजा काँप जाय जब देश के नौ राज्य सूखे के चपेट में हो।
सुखा से बेहाल देश के नौ राज्य के लोग
सुखा ऐसा नही है जिसमे फसलो को पानी नही मिल रहा है, फसलो को उगाने बाले किसानो को पानी नही मिल रहा है नहाने और इस्तेमाल करने की बात तो भूल जाइए, पिने तक के लिए पानी नही मिल रहा है। तस्वीर सिहरन पैदा करती है जब पता चलता है की जीने के लिए पानी कितना कम पर गया है ? लुटियन जोन में रहने बाले को लातूर के बारे में कैसे पता चलेगा ?एक एक बून्द को तरस रहे है लोग, पानी को लेकर इतनी मारामारी कभी नही मची ? अब जब अभी ये हालात है तो मई और जून में जब धरती तपेगी तो कहाँ जाएंगे हम ? क्या होगा उन इलाको को जहाँ अभी के जद्दोजहद में शामिल है दो घूँट पानी ? महाराष्ट्र के कई शहर में भयानक सुखा पड़ा है, यूपी मप्र का बुन्देलखण्ड सूखे से बेहाल है, आंध्र प्रदेश कर्नाटक तेलंगाना का ज्यादातर इलाको में सूखा पड़ा है, राजस्थान गुजरात छतीसगढ़ के सूखे से बुरा हाल है। सबसे बुरा हाल महाराष्ट्र  मराठबाड़ा और  विदर्भ इलाको के लोगो का है जहाँ बून्द बून्द को तरस गया है लोग। प्यास बुझाने के लिए सरकार टैंकरों को प्रयास करते करते परेशां है लेकिन इलाके इतने सुख चुकी है की प्यास बुझती नही ? कई इलाको में पानी के छोटे छोटे तालाब पर धारा 144 लगा दिया है। प्रशाशन की चिंता लगी रहती है की पानी के वजह से परेशां लोग कही भड़क ना जाय,पानी को लेकर दंगो जैसे हालात ना पैदा हो जाय।
महाराष्ट्र के मराठबाड़ा विदर्भ ज्यादा प्रभावित
महाराष्ट्र के परभणी में हर दूसरे दिन पुलिस की पहरेदारी बढ़ाई जाती है। मराठबाड़ा के हालात भयाबह होता जा रहा है 16 जिलो के 16000 गाँव सूखे के चपेट में है। परभणी लातूर के इलाको में टैंकर दिखा नही की लोग टूट पड़ते है। लेकिन पानी की सप्लाई में रोज की जो दिक्कते आ रही है उससे सरकार की उम्मीदे भी सूखती जा रही है। सुखा तो नौ राज्यो में पड़ा है लेकिन सबसे बुरा हाल मराठबाड़ा और विदर्भ इलाके में है जहाँ पिने के पानी का इंतजाम भी मुश्किल में पर गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका थी की सूखे से बेहाल राज्य में नाच गान बाला क्रिकेट टी20 में पानी की बर्बादी हो रही है उसके तिन स्टेडियम में IPL की मैच होने बाली है जहाँ सिर्फ एक पिच की तयारी में एक लाख लीटर पानी की बर्बादी होती है और इस बर्बादी को रोका जाना चाहिए। आईपीएल मैनेजमेंट से लेकर BCCI तक को फटकार लगा दी। आप इस तरह से पानी की बर्बादी कैसे कर सकते है ? आईपीएल मैचों से ज्यादा महत्वपूर्ण है यहाँ के लोग, आप इतने लापरवाह कैसे हो सकते है यह अपराध की तरह है ? जानते हुए भी की महाराष्ट की हालात क्या है अच्छा होगा की आईपीएल की मैच किसी दूसरे राज्य में करबाए ?
ठाणे इलाके में पानी को लेकर रोज झगड़े
ठाणेे का इलाका पानी के भयानक कमी से जूझ रहा है रोज रोज के झगड़े इतने बढ़ गए है की पानी हेल्प लाइन नम्बर 1077 जारी किया है ताकि लोगो को परेशानी सुना जा सके। लातूर में पानी की सप्लाय अब ट्रेन के जरिये की जायेगी, हर हफ्ते पानी बाला ट्रेने खुला करेग। अपने ही देश के हिस्से की कहानिया है ये, बून्द बून्द को तरस रहे लोगो की कहानियां ,आप भी नहाते और बहाते वक्त इसे याद रखे। दशहत होती है सोचकर भी की सरकार पानी नही देगी लेकिन पब्लिक पानी मांगेगी और पुलिस गोली मार देगी ???जरा सोचे हम वाकई कितना विकास और कहाँ विकास कर गए है??
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