💐जय माता जी।💐
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः ।।
चैत नवरात्रि 8 अप्रैल स शुरू होब जा रहल अछि।
उत्साह के संग भक्तगण के पूजाक तयारी आई जोर सोर स देखल जा रहल अछि। बाजार में आन दिन के अपेक्षा बेसी भीड़ अछि। ओना नवरात्रि के अबिते वातावरण में जेना अदृश्य शक्ति सम्पूर्ण वातावरण के पवित्र आ भक्तिमय बना दैत अछि।
महानगरी में भक्तजन विधिविधान के लक बेसी जिज्ञासु आ उत्सुक होयत छथि मुदा वएह विधान राखक चाहि जेकर निर्वाह निक जेकाँ कय सकी। आजुक समय में नवरात्रि के एहन विधि राखक चाहि जाहि स दैनिक कार्य सुचारू जेका चलि सकय। व्रत अहाँ पर बोझ नै बने। व्रत के नाम पर स्वयं के पीड़ा वा दुखी भेनाइ सेहो ठीक नै। देखल जाए त नवरात्रि के व्रत माँ भगवतीक लग जएबाक आर हुनकर कृपा आशीर्वाद प्राप्त करबाक मूल उद्देश्य थिक, कष्ट भोगक लेल नै ।
एकटा आर बात बुझनाय जरुरी छै अहिठाम कि मात्र उपवास रखने व्रत पूर्ण नै भ सकए अपितु व्रत के माने संयम सहनशील सदाचारी आ कर्म मन वचन स सदिखन सेवा भावना रहक चाहि। उपवास आ फलाहार हमरा काया के शुद्ध करैत अछि, संकल्प हमरा मोनक निर्मल आ पवित्र करैत अछि संगहि माँ भगवतीक मन्त्र जाप ध्यान अर्चना स मोन सेहो संतुष्ट आ पवित्र भ जायत अछि। तनमन के पवित्र आचरण स संकल्पित कार्य सेहो सफल भ जायत अछि।
वास्तव में नवरात्र आत्म शुद्धिक सबस पैघ त्यौहार थिक। वर्तमान समय में चारु कात वातावरण आ विचार दुनु दूषित भ चुकल अछि। एहन परिस्थिति में नवरात्रि के महत्व आरो बढ़ि जायत अछि।कारण एहि समय में प्रकृति में एकटा विशिष्ट दिव्य ऊर्जा के संचार होयत अछि, जेकरा आत्मसात कय मनुख अपन काया कल्प क सकए। पवित्र मोन श्रद्धा भक्ति स कएल गेल याचना वा प्रार्थना माँ भगवती धरि अवश्य पहुँचैत अछि।
माँ अपन सब पुत्र के सामान प्यार दुलार करै छथिन मुदा सबस बेसी जे सद्गुणी रहै छथि। ताहि हेतु माँ भगवती के खुश करबाक लेल मनुख के दुर्गुण के त्यागि सद्गुण के धारण करबाक चाहि। ओना जखन भक्त शक्तिपुत्र जानि क भवानी केर ध्यान करै छथि तखन पूजा मातृसेवा भेटैत छन्हि। कहल जाय छै ने की पुत्र कुपुत्र भ सकए मुदा माता कुमाता नै। ते जे भक्त सेवा भावना श्रद्धा विश्वास स माँ के आराधना करताह हुनका माँ भगवती मोनक मनोरथ अवश्य पूरा करथिन्ह।
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