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Saturday, March 12, 2016

धर्म संसद: धर्म को दुकान और औरतों को सामान समझना/ब्रह्मचारी को बच्चे चाहिए☺☺

क्या साधुसंत को लोगो में प्यार के जगह नफरत बाँटना देश की साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगड़ना नही है ?
दिल्ली के सांस्कृतिक प्रदूषण के बाद अब चलते है हरिद्वार जहाँ बिना चुने हुए साधू सन्त बिना चुनी हुई संसद बैठाते है और नाम देते है धर्म संसद। वहां एलान होता है की हिन्दुओ बच्चे पैदा करो नही तो मुसलमान के हाथो गुलाम बना दिए जाओगे। ब्रह्मचारी की बच्चे की यह ख्वाहिस महिलाओ को सामान समझने की सोच से पनपते है। क्योंकि ऐसे ही धन्धेबाजो ने देश के हर हिस्से में आग लगा रखी है। हिन्दू धर्म के बड़े बड़े ठेकेदार चिंता में है, संसद बैठ रही है कभी हरिद्वार में कभी वनारस ने तो कभी कहीं तो कभी कही। एक से बढ़कर एक साधू सन्यासी सिर खपा रहे है की बच्चा कैसे हो ? जिन्होंने जिंदगी भर का ब्रह्मचर्य का प्रण लिया है उनको चाहिए बच्चा ही बच्चा।
ब्रह्मचारी को बच्चे भगवा ब्रिगेड के लिए बच्चे चाहिए
एक दिन नही दो दो तिन तिन दिन निकल जाते है की बच्चा कैसे पैदा हो ? ऐसा क्या करे लोग देश और अपनी हालात को टाँग दे खुटी पर और पैदा करने लगे बच्चे। हरिद्वार के धर्म संसद में किसी हवन आदि या परोपकार पर चर्चा नही हुआ। चर्चा हुआ की औरतो को बच्चे पैदा करने का मशीन कैसे बनाया जाय ? गजब के पीठाधीश्वर है प्यार बांटने के वजाय नफरत की फैक्ट्री बाँट रहे है। वर्षो से हिन्दुओ को डराया जा रहा है की अगले कुछ साल में मुसलमान की संख्या ज्यादा हो जायगा, हिन्दू अल्पसंख्यक रह जायेगा। इस अनर्थ से बचना है तो बच्चे पैदा करते जाओ।
बच्चे की पैदायस को युद्ध की तरह बनाने में जुटे है हिन्दू धर्म के बड़े बड़े धर्माचार्य। हिन्दू औरतो को जचवि मशीन बनाने की एक से बढ़कर एक नायाब फॉर्मूला देकर धर्म संसद बर्खास्त कर दी गई।सारे ब्रह्मचारी चैन से सोये लेकिन हिन्दू औरतो को नींद नही आई। हमारी एक अपील है की बच्चे पैदा करने का एलान करने बाले उस बच्चे को भी देखे जो बिच सड़क पर मारा जाता है। धर्म को दुकान और औरतों को सामान समझने बाले लोग कब तक हिन्दू धर्म के नाम लोगो में भ्रम फैलाते रहेंगे।
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