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Friday, February 5, 2016

यूपी चुनाव के समय मुजफ्फरनगर दंगा की चर्चा क्यों / Why BJP wants to highlight the Muzaffarnagar violence ?

उत्तर प्रदेश चुनाव के ज्यों ज्यों नजदीक आ रहे है सर्द मौसम में भी माहौल को गर्म होता जा रहा है ।मुजफ्फरनगर का जिन्न एक बार फिर से बाहर निकाला जा रहा है । एक पंचायत में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री संजीव बाल्याण के सामने बीजेपी के एक नेता ने भीड़ के सामने वर्षो पुराने मुजफ्फरनगर दंगा का राज उगल दिया। बेख़ौफ़ होकर कहा की नरेन्द्र मोदी को प्रधानमन्त्री की कुर्सी दिलबाने में मुजफ्फरनगर दंगा एक प्रमुख कारण रहा है। वैसे तो गला फाड़कर नेता जी अपने चेहरे चमकाने के लिए बोले परन्तु जब लगा कि पतंग फंस गई है तो लटाई ही फेक दिया यानि की मुकर गया।

मतलब सियासत में ऊँची छलांग लगाने के प्रयास में उलझ गए और उनकी चिंगारी बीजेपी के दामन को भी दागदार कर दिया। मतलब यूपी के मुजफ्फरनगर में पहले एक पंचायत बुलाया गया था और उसके बाद वहाँ दंगा भड़के थे जिसमे सांप्रदायिक सौहार्द तो ख़राब हुआ ही जान माल का भी भारी क्षति हुआ था। अब तो उस आग के आंच में पीएम मोदी का दामन भी अछूता नही रहा।

लेकिन इस प्रयास के बाबजूद दिल्ली और बिहार में पार्टी का सूपड़ा साफ़ हो गया। और एक बार फिर से कुछ अराजक तत्व माहौल ख़राब करने पर उतारू हो रहे है परन्तु जनता ऐसे ताकतों को बाहर का रास्ता जरूर दिखाएगी।

वैसे संजीव बाल्याण के अलाबा योगी आदित्यनाथ भी बीजेपी को फंसा दिया है। दरअसल योगी जी साधू संतो की एक चिंतन सभा बुलाया था जहाँ सन्तों ने योगी जी को यूपी का सम्राट घोषित कर दिया और कहा तुम मुझे राम मन्दिर बनबा कर दो हम तुम्हे यूपी का ताज देंगे।

नरेन्द्र मोदी तो नाम तक नहीं लेते राम मन्दिर का लेकिन योगी जी चिंतन सभा में राम मन्दिर का रस घोल गया। राम तो थे परन्तु बगल में कुर्सी दिखाई दे रही है। बीजेपी पहले ही योगी जी के अधीन यूपी निकाय व बिहार के चुनाव परिणाम देख चुके है इसके बाद और रिस्क लेना नही चाहेगा।

दूसरी ओर अच्छे दिनों के आशा में निराश होते लोग क्या राम मन्दिर के नाम पर बीजेपी को सत्ता तक पहुंचा देगी । बीजेपी यूपी के लिए  अध्यक्ष पद फिर मुख्यमंत्री पद के लिए विचार मन्थन कर रहे है जिसके लिए स्मृति जी, पर्रिकर जी इत्यादि नाम सुने गए है । नेताओ का शीर्षासन होने बाला है । अभी तो यह एक झांकी है, चुनाव में पूरा एक साल बाकी है।

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