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Tuesday, February 9, 2016

जहर की खेती से शहद की उम्मीद क्यों/How can expect honey if cultivate poison ?

हैदराबाद निगम चुनाव में तेलांगना के सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति की भारी जीत तमाम साम्प्रदायिक पार्टी खासकर के AIMI के मुखिया अकबरुद्दीन ओवेसी और दंगा भड़काने बालों के मुँह पर जोरदार थप्पड़ है। बात निगम चुनाव के प्रचार में, मुसलमानो की भीड़ इकट्ठा थी उनकी रहनुमाई कर रहा था AIMI मुखिया अकबरुद्दीनओवेसी और नुमाइन्दा होने की शर्त पर पूरी जमात को शर्मिंदा कर रहा था। मुद्दा वही था जो मन्दिर के नाम पर राजनीती करने बाले का होता है , हिन्दू की हो या मुस्लमान की । मन्दिर का नाम अलापने बालो का जबाब था जैसे वो मन्दिर मन्दिर करते है ये मुसलमान मुस्लमान करते है उनका मन्दिर से काम चलता है इनका मुसलमान से काम चलता है।
भारतीय राजनीत में आजकल डर का कारोबार खूब फल फूल रहा है। देखिये इसकी मारक  क्षमता कितनी प्रबल है हैदराबाद में नगर निगम की चुनाव था और मुद्दे में है मंदिर मुसलमान मुजफ्फरनगर अख़लाक़ मतलब निकाय के चुनाव में पुरे देश की माहौल के बात कर लेते है लेकिन सड़क बिजली पानी रोजी रोटी की बात नही करते। इस डर के कारोबार का असर देखिये की जिस भाषण पर लोगों को सबाल पूछना चाहिए उसपर ताली बजा रहे है। दरअसल इन सबालो से इन्हें कुछ लेना देना नही है बस ऐसे सबालो में उन्हें सुला देना है कोई मन्दिर के लिए सोता रहे कोई मस्जिद के लिए। बिहार चुनाव में AIMI की दुर्गति हो चुकी है ऐसे ही भड़काऊ बोल वहाँ भी बोले गए थे। शुक्र है अकबरुद्दीन ओवेसी अपने इस तकरीर में सीरिया और इराक के मुसलमानो का जिक्र नही किया।
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को तो ऐसे समझते है जैसे मोहल्ले का पंसारी जब चाहे दुकान उजाड़ दो, बड़बोलेपन की इन्तहा है ये,इस भाषा के लिए एक बार  माफ़ भी किया जाय तो इनसे पूछा ही जाना चाहिए की हैदराबाद के पार्षद क्या दिल्ली के संसद भवन में बैठने बाले है ? ये कैसे रोकेंगे गांधी परिवार को, कैसे रोकेंगे प्रधान मंत्री को ? इस गलिजपन का एक ही मकसद है बिना किसी ठोस आधार पर हैदराबाद निगम पर कब्जा जिसके लिए जितना गिरना हो गिरेंगे।
घण्टो पर के भाषण में एक बार भी इन्होंने सड़क बिजली पानी स्कुल की चर्चा नही किया यहाँ तक की विरोधी उमीदवार की चर्चा तक नही करते सीधे प्रधानमंत्री को लपेट लेते है जुबान में जहर, दिमाग में जहर, सारी जनता में खुलेआम बाँट रही है जहर, जानते है यहाँ वहां शिकायत या मुकदमा करबा भी दिया तो बदनामी के बहाने नाम हो जायेगा।
इस राजनीती का खेल ही ऐसा है की जुबान से जितना निचे गिरोगे उतना ही ऊपर जाओगे। ना विरोध के कोई वाजिव वजह बस विरोध के नाम पर कुछ भी बोल दो । भड़काऊ भाषण पर मुकदमा पहले भी हो चुके है लेकिन जिसकी राजनीती इसीसे चलता हो उसे क्यों फिकर होने लगी की देश को ऊपर ले जाने के लिए निचे गिरना जरुरी नही है ।
बहरहाल राजनीती में जहाँ दंगा फसाद या भड़काऊ व्यांबाजी हुई है, इतिहास गवाह है उनकी और उनके पार्टी की दुर्गति जरूर हुई है और यह सच है की देश में मंदिर मस्जिद में उलझाने, जाति और  धर्म के नाम पर राजनीति करने बाले की दुकान बन्द होना लगभग तय है। अनेकता में एकता है ,भारतीय संस्कृति की विशेषता । एकता बिना नही गुजारा, बहुत जरुरी भाईचारा।।
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