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Wednesday, February 10, 2016

सियाचिन के सैनिक हनुमन तप्पा के हौसले और ज्ज्बो को सलाम। Salute for his fighting spirit.


सियाचिन में एक सैनिक ने मौत को मात दिया
शून्य से पचास डिग्री सेल्सियस जब निचे पहुँचती है पारा, जब वर्फ पत्थड़ बन जाते है और हवा वरछी तब भारतीय सेना का एक जवान मौत के जबड़े से अपनी जिंदगी छीन रहा था। अनन्त वर्फ के बीचो बिच 35 फुट निचे हड्डियाँ चट्टानों से भी शख्त हो चुकी थी लेकिन साँसे चल रही थी। पुरे 6 दिन वो लड़ता रहा वर्फ के सिल्लियों के बीच जब बचाव दल ने उन्हें बाहर निकाला तो डॉक्टर ने बोला यह अजूबा है। 3 फरबरी की रात मद्रास रेजिमेंट के हनुमन तप्पा अपने 9 साथियों के साथ सियाचिन के पहाड़ियों पर गस्त लगा रहे थे की अचानक से करीब 1000 मीटर लंबा और 800 मीटर चौड़ा वर्फ का पूरा पहाड़ उनके ऊपर गिर पड़ा, जहाँ 9 जवान तो शहीद हो गए परन्तु एक जवान अभी भी सैनिक हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है।
भारतीय सेना ने रेस्क्यू ओप्रेसन शुरू किया और 45° के निचे पारा में बचाव अभियान चलाना किसी जँग से कम नही था परन्तु सेना ने हार नही मानी, 136 घण्टे बाद लांस नायक हनुमन्तप्पा को खोज निकाला जिनकी धड़कन मात्र चल रही थी बाकी शरीर ठंढा पड़ा था। उन्हें फौरन विमान से दिल्ली आर्मी अस्पताल लाया गया, डॉ ने कहा यह चमत्कार है और सलाम इस फौजी के जज्बे की। उनको देखने के लिए खुद प्रधानमंत्री पहुंचे, सेनाध्यक्ष पहुंचे जो की सियाचिन में वर्फ की जंग किसी भी जमीनी जंग से बड़ी जंग होती है।  -50° तापमान पर कम ऑक्सीजन के वजह से साँस लेना मुश्किल हो जाता है , ब्लड जमने लगता है, आधे घण्टे से ज्यादा देर तक रहने पर दिल का दौर पड़ सकता है, लिवर किडनी फेल ही सकता है।
सियाचिन की सामरिक महत्व
तो सबाल यह है की सियाचिन में ऐसी क्या है जहाँ कुदरत के साथ सीधे जंग में हम अपने जवान की झोके जा रहे है ? जमीन एक छोटे से टुकड़े पर जहाँ ना गोली चलती है, ना बारूद की धुंआ लेकिन हजारो जवान शहीद होते जा रहे है। शहादत के इस बेरहम पर पूछा गया सबाल समूचे सियासत को सन्नाटे से भर देती है। 70 किलोमीटर में फैले ये वर्फ के इस रेगिस्तान को सियाचन कहते है। इस नाम से ही खून जमाने बाली सिहरन आ जाती है, वर्फ के पहाड़, वरफिला तूफान -50° से -70° तापमान और उस तापमान में सीन ताने भारतीय सेना के जवान।
जवानो की जंगी दुश्मन वहां कुदरत है
सियाचिन के सिमा पर भारत पाकिस्तान के सैनिक एक दूसरे पर बन्दूक ताने खड़े रहते है परन्तु दोनों ही तरफ बिना गोलीबारी के ही जवान मारे जाते है। 24000 फिट के ऊंचाई पर वर्फ के जिस वीराने में एक झाडी तक नजर नही आती, एक जानवर तक नजर नही आती वहां भारत पाकिस्तान के जवान सिर्फ सीमा के हिफाजत के लिए खड़े रहते है।
यहाँ से लेह लद्दाख के साथ चाइना के कुछ हिस्से पर भी नजर रखी जाती है
1984 से अबतक सिर्फ भारत से 869 सैनिको की शहादत हो चुके है दोनों ही देश इस इस इलाके पर 500 अरब रुपैये से ज्यादा खर्च कर चुके है, सैनिको की तैनाती के लिए भारत लगभग 10 करोड़ रुपैये डेली खर्च करता है। सियाचिन के बेरहम मौसम के चपेट में दोनों ही देश के सैनिक मर रहे है लेकिन दोनों ही देश इस सीमा से हटने को तैयार नही है क्योंकि इसका भूगोल मृत्यु के भय को समाप्त कर देता है। भारत के लिए ये इलाका बहुत ज्यादा महत्व इसलिए है की एक तरफ इसके पाकिस्तान है तो दूसरी तरफ चाइना और भारत के हटने से दोनों एक दूसर के साथ मिलकर भारत के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। शहीद हुए सभी 9 जवानो को भावभीनी श्रधांजलि, सलाम। जय हिन्द , जय भारत।।
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