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Rambabu
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देश को गुजरात जैसी प्रयोगशाला बनाने की फ़िराक में संघी?जिन्होंने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा, बिश्व विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के दिमाग की ब्रेन मैपिग कर रहे हैं।हिटलरवादी मानसिकता से ग्रसित संघी आज विश्व बिद्यालयों पर कब्जे के लिए देश को बाँटने पर आमादा हैं, क्या भारतीय होने के लिए नागपुर से प्रमाण -पत्र लेना पड़ेगा?
आधुनिक भारत का सपना देखने वाले पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा बनाई गई राधाकृष्णन और डी एस कोठारी समिति की रिपोर्टो को लागू कर उदारवादी शिक्षा नीति अपनाते हुए बहुलता वाद और सांस्कृतिक, बिबिधता को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत को एक "सयुक्त और संगठित देश" के रूप में प्रस्तुत किया गया। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक उदारवादी शिक्षा नीति, में किसी बिचार धारा को न थोपने, और वैज्ञानिक विचार की समीक्छा-अनुसंधान, की भावना जाग्रत करने वाली शिक्षा व्यवस्था लागु की गई।
लेकिन संघ परिवार अपनी पाठशाला में पढ़े लोगों को विश्व विद्यालयों में घुसा कर "स्वदेसी हिन्दू शिक्षा लागू करने पर आमादा है। शिक्षा का भगवा करण देश की स्वायत्तता और स्वतंत्र विचार धारा के लिए चुनोती है। भारत जैसे बहुलता वादी देश में इस तरह का धार्मिक ध्रुवीकरण कराकर वोट की राजनीति के लिए संघियो की कवायद का देश वासियो को खड़े होकर विरोध व सामाजिक तिरस्कार करना चाहिए। जिन संघियो ने आजादी के आंदोलन के समय अग्रेजों की मुखबिरी के आलावा कुछ न किया हो, वो अपने संघी गुंडों के सहारे देश तोड़ने को आमादा हैं।
देश में कुछ मीडिया चैनल सरकारी भाँट हो चुके हैं तो कुछ मीडिया हाउस सरकारी गुलाम, इनकी अपनी-अपनी जरूरते है। कोई घूसखोरी में जेल हो आया है, अब सजा से बचना है। तो किसी का ई डी ,सी बी आई आयकर में मामला फसा है। कुछ की अपनी रियल स्टेट की कंपनी है। इन लोगो के भरोसे सच्ची खबरें पाना नामुमकिन है।
इन मीडिया समूहों को देशवासियो को यह भी बताना चाहिए कि इनके समूह में किस-किस पूँजीपति का कितना पैसा लगा हुआ है, देश की जनता को यह जानने का हक़ है। मनमाने तरीके से आजादी व स्वायत्तता के नाम पर की जा रही इनकी अनार्कियो पर रोक का वक्त आ चूका है।
( Nagesh Salwan )
आधुनिक भारत का सपना देखने वाले पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा बनाई गई राधाकृष्णन और डी एस कोठारी समिति की रिपोर्टो को लागू कर उदारवादी शिक्षा नीति अपनाते हुए बहुलता वाद और सांस्कृतिक, बिबिधता को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत को एक "सयुक्त और संगठित देश" के रूप में प्रस्तुत किया गया। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक उदारवादी शिक्षा नीति, में किसी बिचार धारा को न थोपने, और वैज्ञानिक विचार की समीक्छा-अनुसंधान, की भावना जाग्रत करने वाली शिक्षा व्यवस्था लागु की गई।
लेकिन संघ परिवार अपनी पाठशाला में पढ़े लोगों को विश्व विद्यालयों में घुसा कर "स्वदेसी हिन्दू शिक्षा लागू करने पर आमादा है। शिक्षा का भगवा करण देश की स्वायत्तता और स्वतंत्र विचार धारा के लिए चुनोती है। भारत जैसे बहुलता वादी देश में इस तरह का धार्मिक ध्रुवीकरण कराकर वोट की राजनीति के लिए संघियो की कवायद का देश वासियो को खड़े होकर विरोध व सामाजिक तिरस्कार करना चाहिए। जिन संघियो ने आजादी के आंदोलन के समय अग्रेजों की मुखबिरी के आलावा कुछ न किया हो, वो अपने संघी गुंडों के सहारे देश तोड़ने को आमादा हैं।
देश में कुछ मीडिया चैनल सरकारी भाँट हो चुके हैं तो कुछ मीडिया हाउस सरकारी गुलाम, इनकी अपनी-अपनी जरूरते है। कोई घूसखोरी में जेल हो आया है, अब सजा से बचना है। तो किसी का ई डी ,सी बी आई आयकर में मामला फसा है। कुछ की अपनी रियल स्टेट की कंपनी है। इन लोगो के भरोसे सच्ची खबरें पाना नामुमकिन है।
इन मीडिया समूहों को देशवासियो को यह भी बताना चाहिए कि इनके समूह में किस-किस पूँजीपति का कितना पैसा लगा हुआ है, देश की जनता को यह जानने का हक़ है। मनमाने तरीके से आजादी व स्वायत्तता के नाम पर की जा रही इनकी अनार्कियो पर रोक का वक्त आ चूका है।
( Nagesh Salwan )
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