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Wednesday, February 17, 2016

डरा हुआ लोकतन्त्र में अवसरवादी राष्टवादी/Democratic opportunistic.

जय जवान जय किसान के साथ सबका साथ सबका विकास और अच्छे दिनों के नारो के साथ सत्ता में आसीन हुए बीजेपी की सरकार आज इन सब से बहुत आगे निकल चुकी है । नित नए जुमलों और स्लोगन से जनता अपना सर खुजा रहे है और असल में सत्ताधारी दल की नियत समझने का प्रयास कर रहे है। परन्तु आजकल डरा हुआ लोकतन्त्र के साथ निराशावादी लोगो की जमात राष्ट्रवादी सिद्ध करने के लिए सड़क से लेकर अदालत तक जोर आजमाइश कर रहे है ।
दरअसल जिसे हम खाकी वर्दी बाले पुलिस समझ रहे है वो सेना की पहली टुकड़ी जैसी है। सरकार के कार्यपद्धति क्रियाकलापों से बुद्ध और बुद्धिजीवी से अलंकृत भारत देश की नहीं दिखाई देती है। फर्जी राष्ट्रवाद लोग है जो शायद कभी भारत देश को स्वीकार ही नहीं किया। हम ये भूल जाते है की आरएसएस ही भाजपा है ,जो 68 साल पहले आप से हार चुका है।
आज का दौर बहुत बुरा है। राष्ट्रवाद के नाम पर बड़े बड़े अपराध किए जाते हैं। असल देश विरोधी नारा लगाने बाला और मन्च सजाने बाला कश्मीरी खालिद उमर है जो गायब है या कर दिया गया है जम्मू कश्मीर की राजनितिक मजबूरी एक कारण हो सकता है । देश की इन तथाकतित राष्ट्रवादियो ने ये हालत कर दी है की अब तो पडोसी दुश्मन भी ठहाका लगा रहे होंगे की जो हम ६० साल में नहीं कर पाये वो इन्होने पौने दो साल में ही कर दिया ।
पिछले दो साल से हर मोर्चे पर लगातार असफल होते रहने के बाद, अर्थव्यवस्था को ध्वस्त होने के कगार पर पहूँचाने के बाद राष्ट्रवाद और धर्म ही वे आखिरी पनाहगाह हैं जिनके बुते मूर्ख भक्तों को छिटकने से रोका जा सकता है ।
लेकिन हर बुरे दौर की एक अच्छी बात होती है कि वह भी स्थायी नहीं होता....यही है न भगतो आप वाले अच्छे दिन ....गाली गलौज करना राष्ट्रवादी की पहचान है - उसके बिना तो आप रह नहीं सकते क्योकि वो तो आपका गहना है न राष्ट्रभगति  दिखाने का ???
धीरज रखिए ! भ्रम हिटलर का भी ध्वस्त हो गया था ।
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