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Wednesday, February 3, 2016

रेयान इंटरनेशनल स्कुल में टैंक में गिरकर 6 साल के बच्चे की मौत। Six Year Old's death in Ryan school

रेयान इंटरनेशनल स्कूल बसन्तकुंज के गटर में गिरकर एक बच्चे की मौत हो गई और स्कूल बेशर्मी भरी


बहाने बना रही है।  सच ये है की स्कुल शिक्षार्थ भूलकर व्यवसायी बन चुकी है। 6 वर्ष के छात्र सम्भावनाओ से भरे हुए एक बच्चे को अपनी लापरवाहियों के गटर में मरने के लिए छोड़कर उसने बचाव का तिरपाल ओढ़ लिया ।

जिसकी पहरेदारी की जिम्मेदारी थी, एक माँ की आंसुओं ने धज्जियां उड़ा दिया। हर माँ बाप को सोचने पर मजबूर कर दिया है की स्कुल के नाम पर टकसाल चलाने बाले को दिल भी होते है या नही। करुणा की रोशनाई से लिखी गई कविता की ये एक एक शब्द आपकी आत्मा को निचोड़ लेगी ।
चाँद वही है, तारे वही है, तेरे बिस्तर पर तेरी माँ वही है।पापा वही है, तकिया वही है,चादर वही है, पर मेरे साथ मेरा लाल तू नही है।
तेरी खिलौने देखु, तेरी कार देखु, पर मेरा चाँद तेरा चेहरा कैसे देखु।
छूता था वो कल तक अपने हाथो से सबको,
यही सोच आज इन्हें गले से लगा रही हूँ,
आँखे बन्द करू तो तूँ दिखे, आँखे खोलूँ तो ओझल हो जाय,
एक बार जाते वक्त, तूने माँ तो पुकारा होगा, काश मैं तेरे साथ होती, काश आज तूँ मेरे पास होता ।काश, काश।
माँ ने इन तमाम सम्बेदनाओं को सिरहाने,शब्दों के कुछ फूल रखे है । स्मृतियों के मिट्टी में खिले हुए कुछ फूल, अपने इस मुल्क पर रोती है। 
SDM की जाँच से पता चला है की जिस गटर में दिव्यांशु गिरकर मर गया दरअसल उसमे ढक्कन नही था। पुलिस की जांच स्कुल की लापरवाही के ओर इशारा कर रहा है। क्या दिल्ली सरकार इस तरह के स्कुलो को ऐसे ही चलने देगी, आज नही तो कल इन सबालो के जबाब ढूँढना ही पड़ेगा।
दिल्ली में जिस तरह से मनमानी और मुनाफों के बिच स्कुलो की निरंकुश सत्ता चलती है इन्हें बन्द करनी होगी और दोषी व्यक्ति को जल्द से जल्द सजा होनी चाहिए ताकि स्कुल में इस तरह की घटना दुबारा ना हो।
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