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Tuesday, February 2, 2016

दिल्ली पुलिस गुंडों के साथ मिलकर छात्रो पर किया हमला, क्या दिल्ली पुलिस संघी गुलाम है ? Student Beaten up by Police and RSS goons.

लोग दिल्ली पुलिस की वर्दी में थे, सिर्फ वर्दी ही थी बाकी काम सब गुंडों लफंगों और मबालियों जैसा था। नियत से लेकर हरकत तक विरोध प्रदर्शन कर रही लड़कियों पर वो गुंडे जैसे टूट पड़े, बिच सड़क पर बावर्दी बाल पकड़ कर घसीट रहे थे, हाथ पकड़कर खीच रहे थे। पुलिस ने संघियों के इशारों पर बड़े मीडिया संस्थानों के पत्रकारों पर भी हमला करना शुरू कर दिया है। अंग्रेज़ों के तलवे चाटने वाले संघियों ने अब पुलिस की मदद से ऐसे लोगों पर बार-बार हमला करने की रणनीति बनाई है।
वीडियो में देखा जा सकता है कि बिना वर्दी वाले कुछ लोग भी पुलिस के साथ मिलकर छात्र-छात्राओं को बेरहमी से पीट रहे हैं। हालाँकि यह साफ नहीं है कि ये बिना वर्दी वाले लोग पुलिसकर्मी हैं या नहीं, जबकि प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि ये बिना वर्दी वाले लोग संघ समर्थक गुंडे थे। तस्वीरें देखकर रौंगटे खड़े हो जाते है। वो गुंडे भारत के राजधानी में रहते है,
पुलिस कमिसनर को उन गुंडों पर नाज है और देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह इनके रहनुमा है। दिल्ली के पुलिस कमिसनर की ये वो टुकड़ी है जो लड़कियों पर टूट पड़ते है। ये गृहमंत्री राजनाथ सिंह की रहनुमाई बाली वो पलटन है जो दिल्ली के निहत्थे छात्रा पर मर्दानगी दिखाते है। कहने को ये दिल्ली पुलिस है लेकिन ये खाकी बाले गुंडे है भारत सरकार के शक्ति से लैस। रोहित वरमुला की मौत पर प्रदर्शन करने के लिए झंडेवालान के आरएसएस दफ्तर के बाहर जमा हुए थे JNU के छात्र। जितने छात्र थे उससे ज्यादा पुलिस बाले। और जैसे ही छात्र ने नारा लगाना शुरू किया दिल्ली पुलिस के लठैतों को गुंडागर्दी करने का लाइसेंस मिल गया।

झपटमारों को ना पकड़ पाने बाली दिल्ली पुलिस, बलात्कारियों को ना पकड़ पाने बाली दिल्ली पुलिस,लुटेरों को ना पकड़ पाने बाली दिल्ली पुलिस, हत्यारों को ना पकड़ पाने बाली दिल्ली पुलिस, पढ़े लिखे छात्रो पर अनपढ़ मबालियों के तरह टूट पड़े।  कमिसनर B S Bassi की पलटन के रंग देखकर देश दंग है, गली के गुंडे भी शर्मिंदा है, लड़कियों को वो भी बख्स देते है। ऐसा लग रहा था जैसे खाकी के भीतर छुपे हुए गुंडे के बदन का खून निहत्थे लड़के लड़कियो को देखकर खौल उठा था। सो जैसे जी में आया पिल पड़ा था।
दिल्ली पुलिस के गुंडे की इस बेशर्मी के बाद दिल्ली कमिसनर को बाहर निकलना पड़ता है और बाहर निकलकर जो कहा वो वही बेशर्मी का विस्तार था। ऐसा लगा जैसे दिल्ली पुलिस कमिसनर दिन दहाड़े चादर तानकर सो रहे थे। उनकी ही पुलिस उनके ही घर में, उनके बेटियो के घसीट घसीट कर बेरहमी से पीट रहे थे और सरकार सो रही थी। वाह रे तुम्हारी स्लोगन " बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ" , युवा शक्ति, डेमोग्राफी।
कबतक चुपचाप अपने मन की बात, अपने पसन्द की बात करते रहेंगे, दरअसल युवा,छात्र,किसान, गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा, अनेकता में एकता, साम्प्रदायिक सौहार्द जैसे ज्वलन्त विषय पर ठोस कदम उठाने का तुरन्त प्रयास करने की जरूरत है अन्यथा लोग अर्श से फर्श पर पटकने में देर नही करेगी। दिल्ली के युवाओं, छात्रो के शक्ति को नजरअंदाज करने की कोशिस बहुत महंगी पड़ सकती है ।तुमलोगो ने सोये हुए शेर को जगा दिया है और ये वो लोग है जो अगर एक बार सही में जाग गए तो तुम्हारी ईट से ईट बजा देगी। Don't underestimate a power of the common man. जय हिन्द। बन्दे मातरम्।
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