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Thursday, January 7, 2016

राष्ट्रनीति व राजनीती पर भारी स्वार्थनीति / Selfishness has become more powerful than any policy.

देश की विडम्बना कहे या जनप्रतिनिधि व दिखाबा करने बाले राष्ट्रभक्तों की मानसिकता अकसर परिस्थितियों और हालातों के प्रतिकूल अभिव्यक्ति उनके लिए मानो प्रशंशनीय व शान की बात है। प्रधानमन्त्री जी की औचक पाकिस्तान यात्रा पर देश की जनता उनकी नियत पर कतई शक नहीं कर रहा है परन्तु निष्कर्ष जो निकला सबाल उठना लाजिमी है। क्योंकि ठीक उसके बाद आतंकी वारदात में हमारे देश के सात जांवज सैनिको की सहादत हो गई । परन्तु वीरों के सहादत पर राजनीती बिलकुल नहीं होनी चाहिए
राष्ट्रनीति पर राजनीती और फिर इन दोनों के ऊपर स्वार्थनीति इतना प्रबल होता है की तमाम निति धरे के धरे रह जाते है और शुरू हो जाती है "सास बहु" की सीरियल फिर हम तमाशबीन के तरह माननीय महोदय का तमाशा देखते रहते है और फिर विदेशो तक में हमारे देश को तमाशा बना दिया जाता है ।
दरअसल गिद्ध प्रजाति अपने समूह के साथ अकसर उत्सव मनाते है जब कही कोई जानबर तड़पते हुए बेजान दिख जाते है, ठीक देश की राजनीती में सब के सब अवसरवादी है और जैसे कही कुछ अनहोनी,अप्रिय  या राष्ट्रविरोधी वारदाते हुई नहीं की वजाय एकजुटता होकर समाधान के आपस में तलवारे चमकाने लगते है जिसके लिए सब के सब बड़े ही माहिर खिलाडी है ।
कुछ मित्र का कहना है की पठानकोट पर बहुत हो गया अब कुछ कलकत्ता के मालदा में जो घटित हुआ है उसे लिखो । मेरा व्यकिगत मानना है देश के किसी भी कोने में अगर कोई हिंसात्मक घटना होता है वो देश की अखण्डता को छलनी करता है जो की कतई वर्दाश्त नहीं करना चाहिए उनपर फौरन अंकुश लगानी चाहिए
परन्तु मैं कोई राजनेता तो हुँ नहीं की, तथ्य को भर्मित करने के लिए कुतर्क के सहारे आत्म विश्वास के साथ लोगो को असल मुद्दों से भ्रमित कर दे जैसे जब कही कोई गरीब बच्चा को सरेआम मार दी जाय और वहाँ जन्मदिन की बधाई ट्वीट करे । फिर एक ओर देश के तमाम जनता एयरबेस में आतंकी घटना में शहीद सात जाँबाज को खोने से दुखी है वही दूसरी ओर हमारे माननीय योगा दिवस पर योग जीवन में कितना महत्वपूर्ण है उस पर भाषण देकर जनता को जागरूक कर रहे हो । वाकई हम कितना सम्बेदंशील है ? जरा सोचे स्वार्थनीति से ऊपर उठकर,जबाब मिल जायेगा।
कुछ लाइन है जरा गौर फरमाएंगे :
"चन्द्रशेखर" तुम अपना इस आजादी के लिए बलिदान दे गए , "भगत सिंह" तुम यूँ ही अपनी जान दे गए ।
देखो तुम्हारे खवाबो को इन्होंने शीशे की तरह चटका दिया है , तुम जिस देश के लिए फाँसी पर लटक गए, इन्होंने इस देश को फाँसी पर लटका दिया है ।।
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