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Rambabu
8:11 PM
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आग पड़ोस के घर को लपेटी हुई है परन्तु पानी हम अपने घरों के छत पर बर्बाद कर रहे है ऐसा ही कुछ अमेरिका , पाकिस्तान, चाइना मिलकर भारत के लिए कर रहा है । हालिया पठानकोट एयरबेस में आतंकी हमला पुरे देश को हिला कर रख दिया। दूसरी ओर इस्लामाबाद में अफगानिस्तान का भविष्य तय करने और दक्षिण एशिया को आतंकवाद मुक्त करने के लिए अहम बैठक में पाकिस्तान और अमेरिका समेत चीन इसमें शामिल हुआ लेकिन भारत को दूर रखा गया।
पाकिस्तान लगातार प्रयास कर रहा था की तालिबान और अफगानिस्तान सरकार को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की अमेरिकी निति में चीन को शामिल करा ले, लिहाजा हमारे देश के लिए यह बड़ी बिफलता है। दक्षिण एशिया में आतंकबाद जैसे चुनौती से लड़ने के लिए उसने साबित कर दिया की उसकी ब्लैकमेल करने और पीछे से आतंकवादी संगठनो को मदद करने की निति भारत की उन तमाम कोशिश पर भारी है जिसके जरिये भारत भारत पिछले कई दशक से अफगानिस्तान में स्कुल,सिंचाई, अस्पताल सड़क निर्माण से लेकर संसद भवन तक बनबाने का काम किया है और आगे भी कर रही है।
इन ताजा घटना से इन चांडाल चौकड़ी के मनोदशा को स्पष्तः भारत विरोधी या दक्षिण एशिया के उन तमाम देशो से भारत को अलग थलग करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा सकता है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान तो पैदा हुआ है भारत के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जंग लड़ने के लिए परन्तु अब तो हमारे सबसे विश्वसनीय पड़ोसी नेपाल भी चाइना से ज्यादा घुलमिल कर हमे ही आँखे दिखने लगा है ।
पाकिस्तान अपने मुल्क में आतंकी सरगना जैशे मोहम्मद के मुखिया मौलाना मसूद अजहर और उसके भाई को गिफ्तार कर लिया है । तो क्या वाकई भरोसा कर लेना चाहिए ? ऐसा तो लखवी के केस में भी किया हुआ है । अंडरवर्ल्ड डॉन दावूद इब्राहिम पाकिस्तान आते जाते रहते है जिन्हें दुनिया के तमाम एजेंसी ढूंढ रही है पर पाकिस्तान ने कभी स्वीकारा नही ?
ये दोगली चरित्र है पाकिस्तान का एक ओर अंतर राष्ट्रीय मन्च पर आतंकवाद के खिलाप लड़ना व खुद को पीड़ित साबित करना और दूसरी ओर आतंकी संगठन को भरण पोषण कर भारत के लिए उकसाना और ये तमाम मुल्क को पता है । चुकी पाकिस्तान अमेरिका का पालतू कुत्ता है जब जैसे वो बोलता है वैसे ही करता है । उनसे बोला आतंकी पर प्रतिबन्ध लगाओ तो लगा दिया, कहा पकड़ो तो पकड़ लिया, कहेगा छोड़ दो तो छोड़ देगा। ये कुत्तो के तरह मात्र अमेरिका के सामने दुम हिलाता रहता है क्योंकि पाकिस्तान और उसके आतंकी दोनों ही अमेरिकी डॉलर पर जिन्दा है ? खुद के पास जीने के लिए और कुछ भी नही है ।
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