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Monday, January 25, 2016

क्या कलाकारों का विरोध सस्ती लोकप्रियता मात्र है ?

दिल्ली के अदालत में एक याचिका दायर किया गया था की बिग बॉस के एक प्रोमो में धार्मिक भावनाओं के साथ खिलबाड़ किया गया है । साहरुख और सलमान मन्दिर मे जूते पहनकर मिलाप कर रहे थे। याचिका पर अदालत भी सम्बेदंशील दिखा । हम सब ने इस प्रोमो को देखा होगा लेकिन हम कह नही सकते की इतने विलक्षण दृष्टि आपकी है या नही लेकिन कुछ तीक्ष्ण दृष्टि वाले दर्शक को मन्दिर में जूतों के साथ प्रवेश से कुछ लोगो को इतना धक्का लगा की उनका धर्म हवा में फड़फड़ाने लगा। वो थानो से लेकर अदालतों तक में अपना गुहार लेकर पहुँच गए की इन पर करवाई होनी चाहिए।
धार्मिक भावना को भड़काने का तो ऐसा मामला हो गया है की कसम से भगवान भी कनफुजिया गए है। साक्षात् भगवान होते तो माफ़ भी कर देते । परन्तु अदालत में भक्तो ने कहा है की हमारे भगवान जी को बचा लीजिये , कल की ही सुनवाई थी। धार्मिक मसलो पर हर सितारे को सम्बेदंशीलता दिखानी चाहिए लेकिन कई बार छोटी छोटी चीज को जानबूझकर सितारों के वजह से बड़ा बनाया जाता है जो सही मायने में कुछ जायज सबाल उठाते है। 
क्या ऐसे मसले सिर्फ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए नही उठाये जाते ? छुटभैये नेताओ के किए आहात होना प्रसिद्धि का बहाना तो नही बनता जा रहा है ? क्या ऐसी याचिकाओं के जरिये कोर्ट जा वक्त नही जाया किया जा रहा है । कहने का मतलब यह है की सारा विवाद ही यह की सामने शाहरुख़ और सलमान है वर्ना एक जूते की क्या हैसियत वो भी सिनेमा के,  जबकि प्रोमो सूट के समय यहाँ कुछ था ही नहीं ये आजकल ग्राफिक का कमाल है जिसके वजह से मन्दिर का सेट दिखाया जा रहा है।
यहाँ पर कोई धार्मिक आस्था या अनास्था वाला कोई सबाल ही नही था बस कारण अर्जुन के सेट को दर्शाना था जिसे क्रोमा तकनीक के जरिये दर्शाया गया था जिसे आजकल भव्य सीरियल और फिल्म सूट करने के लिए की जाती है । परन्तु यहाँ बिना बात के आसमान सर पर उठाना एक परम्परा सा बन गया है जो समाज के लिए बहुत ही घातक है।
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