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Rambabu
11:50 PM
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रोहित वेमुला को शायद ही पहले कोई जानता था और जानने की कोई वजह भी नही था । वो हैदराबाद यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहा था । उसकी भाषा शानदार थी, उसकी सोच ज़माने से आगे की थी , वो लेखक बनना चाहता था लेकिन उसका एक अपराध था पिछड़ी जाती का होना और ये अपराध इतना बड़ा था की भारत के एक मंत्री के कहने पर उन्हें पाँच साथियों जे साथ होस्टल से बाहर निकाल दिया। ये जिल्लत उनसे बर्दास्त नही हुई और एक बनते हुए लेखक ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।
रोहित वेमुला मर गया लेकिन वो सूत की रस्सी से नही मरा, उसे मारा है राजनीत के रस्सी ने, उसे मारा सड़ी हुई सोच ने । वो मरा नही है उसे मारा गया है।
रोहित वेमुला मर गया लेकिन वो सूत की रस्सी से नही मरा, उसे मारा है राजनीत के रस्सी ने, उसे मारा सड़ी हुई सोच ने । वो मरा नही है उसे मारा गया है।
माना की फ़ाँसी एक अपराध है लेकिन उसे अपराध के उस परिधि में धकेलने बाले कौन है ? कौन है जिन्होंने लेखक बनने बाले के सपने को उठाकर बाहर फेक दिया और उनके अन्दर का लेखक इस अपमान को बर्दास्त नही कर सका । उन्हें सियासत की उस घुटन ने मारा है जिसमें वोे कई महीनो से साँस लेने के लिए छटपटा रहा था। सबाल यहाँ इन्साफ को ही लाश में बदल कर रख दिया है। रोहित वेमुला की मौत परेशान करती है ये जानते हुए भी की कोई भी कि कोई भी आत्महत्या जायज नही हो सकती लेकिन उनकी आखिरी खत समाज और सरकारी तन्त्र के सम्बेदनहीनता पर अपनी अंतर्व्यथा की कलमो से क्या सुन्दर तरीके से लोगो को आयना दिखाया है ।
स्मृति ईरानी की मंत्रालय ने यूनिवर्सिटी के VC को चार रिमाइंडर भेजे थे कि बताइये की हमारे राज्य में एक आजाद सोच कैसे पनप रही है? बेबसी का गुस्सा,कुछ ना कर पाने का गुस्सा, अपने ही सरकार से निराश छात्रों का गुस्सा । मंत्रालय दरअसल इन छात्रो के पीछे ही पर गया था । रिमाइंडर पर रिमाइंडर भेज कर सिर्फ यह पूछने के लिए की उन छात्रो के खिलाप क्या एक्शन लिया जो कैम्पस में बहस छेड़ रखा है। खूबसूरत लोकतांत्रिक बहस स्मृति जी के लिए राष्ट्र विरोधी गतिबिधियों में आती है । भारत का सबसे बड़ा मंत्रालय VC को कोसे जा रहा था की हमारे राज्य में कोई AVBP के कार्यकर्त्ता से कैसे भीड़ सकता तो मजबूरन उनलोगो के खिलाप एक्शन लेना पड़ा। अंदाजा लगाइये की ऊपर से लेकर निचे तक एक सोच को कैद करने की कैसे साजिस की जा रही थी। जिसका नतीजा है रोहित की आत्महत्या। मौत पर शर्मिंदा होने की नाटक करने बाली सरकार की झूठ सुनिए।
मामला इतना था कि अम्बेडकर स्टूडेन्ट एसोसिएसन के छात्र और बीजेपी के ABVP छात्र के बिच झगड़ा चल रहा था। बीजेपी के छात्र संघ ने बाते केंद्रीय मंत्री दत्रात्रेय के पास भेजा फिर दत्तात्रेय ने स्मृति ईरानी को इसके बाद भारत का सबसे बड़ा मंत्रालय सारे काम को छोड़कर छात्र राजनीती के मतभेदो को राष्ट्र विरोधी साबित करने की एक सूत्री कार्यक्रम के तहत उन छात्रो को कैम्पस से बहिष्कृत करने की योजना बनाया। स्मृति ईरानी और VC दोनों ही उनके खिलाप एक्शन लेने के लिए गिरे जा रहे थे और फिर VC ने रोहित और उनके साथ पांच साथियो को कैम्पस से बाहर कर दिया और फिर कहते है की रोहित ने आत्म हत्या किया । टूट गया था रोहित अपने ही कॉलेज के रबैये से, उनपर बहुत ज्यादा सख्ती कर दी गई थी उन्हें हॉस्टल के मेस तक में जाने की मनाही थी बताइये जरा इस बेरहमी पर किसका दिल नही टूट जायेगा। रोहित की मौत स्मृति ईरानी का मंत्रालय से लेक हैदराबाद यूनिवर्सिटी के VC के लिए खूंखार कामयाबी है और कहते है की रोहित ने आत्महत्या की है ।
रोहित का कहना था कि हमें इतनी तो आजादी दो कि हम खुलकर अपनी बाते अपना विरोध रख सके परन्तु विरोध करने पर उन्हें राष्ट्र विरोधी साबित कर दिया । घिसे पिटे बहानो के साथ उनकी स्टैपन पर रोक लगा दिया क्योंकि वो अम्बेडकर स्टूडेंट यूनियन के बैनर तले दलितों के हक की आवाज को बुलंद कर रहा था ।अब मौतों से छुटकारा पाने का बहाना गढ़ रहे है ।
छात्र राजनीती कौन से कैम्पस में नही होता है पर हद तब हो गई जब विरोधी विचार को सीधे राष्ट्र विरोध से जोड़ दिया जाता है ?
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