मिथिलांचल में रहनिहार आ राहनिहारि सब लोकैनि के नूतन वर्ष के हार्दिक शुभ कामना आ संगहि सभक जीवन के सबटा मनोरथ पूर्ण हुए तकर हम अशेष अभिलाषा करैत छी। आई नूतन वर्ष के पहिल दिन अछि एकदम टकाटक हरियर हरियर बुझना जायत छी ते तरोताजा बनि चलु बाबा कपिलेश्वर महादेव के दर्शन कय जीवन के कृतार्थ करी।
आउ हमरा संग मिथिलाक प्रख्यात देवस्थल कपिलेश्वर स्थान जनिका "मिथिला के बैद्यनाथ धाम " रूपेँ सेहो जनै छी। ई क्षेत्र भक्ति मुक्तिक संग मोक्षदायिनी थीक। प्राचीन काल सँ कपिलेश्वर स्थान ऋषि मुनिक लेल शांतिदायक, ध्यान तपस्याक स्थल मानल गेल अछि।
महर्षि कर्दम व देवहुतिक आत्मज कपिल मुनि जे विष्णु अवतार के रूप में जानल जायत अछि, मिथिलापुरी के दक्षपुत्री सती के शरीरांश खसल आ गिरिराज किशोरी पार्वतीक जन्मभूमि होबाक कारणे परम पवित्र जानि अहिठाम घनघोर जंगल आ महाश्मशानक बिच पवित्र कमला नदीक किनारे आश्रम बनेलाह । जतय ज्ञान प्राप्ति के लेल कपिल मुनि शिवलिंग के स्थापना कयलाह जे की कपिलेश्वर नाम सँ विख्यात भेल । एतय कपिल मुनि सालो साल तपस्या कयलाह आ अपन तपोबल सँ भगवान शिव के प्रसन्न कय सिद्धि प्राप्त कयलाह । अहि शिवलिंगक पूजा अर्चनाक परम्परा सहस्त्राब्दि स अछि।
ततपश्चात सांख्य शास्त्र के जटिल सूत्र सभक रचना करि मानव सृष्टिक रचना में पुरुष आओर प्रकृति के सत्ता प्रमाणित कयलाह। अहि स्थानक महत्व मात्र कपिल मुनिक तपोबल सँ स्थापित शिवालय नै छैक बल्कि पुराण के अनुसार कपिलेश्वर स्थान के महत्व राजा जनक जी के राजधानी वा सुखवासक मुख्य द्वार दक्षिण सीमा पर अवस्थित होबाक सेहो कारण अछि। जनश्रुतिक अनुसार राजा जनक नित्य प्रतदिन प्राचीन शिवलिंग के जलाभिषेक करैत छलाह।
महाभारत में एहि स्थानक विवरण हिनके वचन में - कपिलेश्वर तत: प्राह सांख्यर्षिदेव सम्मत:,
मया जग्मान्यनेकानि भक्त्या चाराधिता भव:,
प्रीतश्च भगवान ज्ञानं ददौ भवान्तकम् ।
कपिल व कपिलेश्वर लिंगक वर्णन वृहद विष्णपुराण, श्वेताश्वतर उपनिषद, यामलसारोद्धार तंत्र संगहि अनेक प्राचीन ग्रंथ में उद्धृत अछि। उल्लेख अछि कि सीताराम विवाह में शिव जनकपुर अएल छथि जाहि सँ अहि शिवलिंग के प्राचीनता शिद्ध होयत अछि।
गीता आ रामायण के अनुसार सेहो कपिलेश्वर शिव प्रतिष्ठापक बहुत प्राचीन ऋषि छल। कपिल मुनिक बहिन अनसूया अपन आश्रम में सीता जी के उपदेश देने छल।
ऐतिहासिक प्रमाण आ जनश्रुति के आधार सँ मुनिवर कपिल मधुबनी के नजदीक ककरौल गाँव के वासी छल। ओतय हुनक प्रसिद्ध आश्रम छल।महाकवि विद्यापति कहैत अछि-कत युग सहस वयस वहि गेला ।
मानल जायत अछि कि महाकवि विद्यापतिक जन्म आशुतोष कपिलेश्वर के कृपाप्रसाद स्वरूप भेल छन्हि। बाबा कपिलेश्वर नाथ काम मोक्ष प्रदाता अछि।बाबा कपिलेश्वर जगत स्वामी, जगत किसान, त्रिभुवन दाता, संतान दाता, धान्य दाता, पशुपति, रोग शोक नाशक वैद्यनाथ, अधम उद्धारक आदि स्वरूप में विख्यात अछि।
सावन में लाखो लाख कांवरिया सोमवारी के दिन जयनगर के कमला नदी सँ काँवर में जल बोझि जयनगर सँ पैदल करीबन 30 किलोमीटर के यात्रा कय कपिलेश्वर स्थान में शिवलिंगक जलाभिषेक करैत छथि। आ दर्शन करि सौभाग्य प्राप्त करैत छथि ।
अन्त में एतबा कह चाहैत छि की हिनकर महिमा के बखान सूर्य के दीप देखयब जेका बुझु। अहि स्थानक विषय में जतेक प्रशंशा कयल जाए कम अछि।
एकबेर पुनः नव वर्ष अपने सब सहपाठीगण के जीवन सदिखन हर्षोल्लास आ नव उमंग तरंग संगहि सृजनात्मक आ रचनात्मक काज करबा में बाबा कपिलेश्वर मदद करथि जाहि स समस्त प्राणिमात्र के कल्याण हुए । जय बाबा आशुतोष कपिलेश्वर,अपनेक सदिखन जय हो ।
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