राजस्व मंत्री का काम होता है सरकार के लिए कमाई के रास्ते खोजने का, इस बात को सुनिश्चित करने का कि कोई गैर क़ानूनी तरीके से सरकार की चुना ना लगा दे। लेकिन बीजेपी सरकार में गजब के राजस्व मंत्री है एकनाथ खडसे, वो दुसरो से सरकारी खजाने को क्या बचाते आरोप है कि खुद ही चुना लगा गए? सरकार के कब्जे बाली जमीन को बीबी और दामाद के नाम करबा दिया।मंत्री दमाद और भ्र्ष्टाचार पर बीजेपी अब दम साधे बैठी है।
प्रधानमंत्री जी 2साल के जश्न में गौरव गाथा गा रहे थे कि इन दो साल में कोई भ्र्ष्टाचार की खबरे सुना कीसी समाचार पत्र में या न्यूज़ चैनेल में देखा-तो प्रधानमंत्री जी सुना नही साक्षात् देख रहे है और रोज देख रहे है कि भ्र्ष्टाचार के मन्दिर में महाराष्ट्र के मंत्री दण्डवत होकर दोनों हाथो से ईमानदारी के दावे पर होम कर रहे है। पहले सिंचाई घोटालों से आरोपो को सिंचाई फिर चिक्की घोटालों से मुंह कसैला किया और अब जमीन के जंजाल में फंस गए है बीजेपी के कदावर मंत्री एकनाथ खडसे क्योंकि उन्होंने साबित कर दिया है कि महकमा जेब में तो जमीन मंत्री की।
कभी सुना आपने किसी ऐसे राजस्व मंत्री के बारे में जो जमीन पर कबजाने के लिए अपने ही महकमे को प्रॉपर्टी डीलर बना दिया हो। ये जानते हुए की अरबो की जमीन सरकार की है उसे कौड़ियो के दाम रजिस्ट्री करबा लेता है। फिर बड़े बड़े आईएस अधिकारी और अपने पुरे महकमे को अबैध तरीके से ख़रीदे गए जमीन को बैध करबाने में लगा देता है। कभी मुख्यमंत्री के दावेदार रहे एकनाथ खडसे जमीन खरीदने से पहले अपने पुरे महकमे के साथ मीटिंग लेता है कि कैसे उसे हथियाया जाय। अब यही जमीन घोटालो ने मंत्री जी को धूल चटा दी है।
जमीन सौदे में जो राजस्व मंत्री ने खेल खेला है उसकी एक एक परत सामने आने लगी है।अपनी ही सरकार से किसी प्रॉपर्टी डीलर की तरह हेर फेर में लगे रहे एकनाथ खडसे और कर्मचारी से कुछ बोलते नही बना। पहले तो सरकार की अधिगृहीत जमीन को अपनी बीबी और दामाद के नाम गलत तरीके से ख़रीदा। जमीन खरीदी 3.75 करोड़ में और सरकार को स्टाम्प ड्यूटी चुकाई 37 लाख। इस स्टाम्प ड्यूटी के हिसाब से जमीन की कीमत होनी चाहिए करीब 31 करोड़। मार्किट रेट से कई गुना कम रेट पर जमीन खरीदकर उसे कानूनन वैध करबाने में लगे थे एकनाथ खडसे। मतलब बीजेपी के राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे अपने ही सरकार को जम के चपेट लगाया।
अब महाराष्ट सरकार से बोलते नही बन रहा है उनके सहयोगी शिव सेना भी पीछे पड़ी है खडसे को लेकर। बीजेपी को पता है करवाई में देरी से मट्टी पलीत हो रही है। करोडो के जमीन को अरबो में बदलने की नायाब फार्मूला बाले मंत्री की किस्मत अब दिल्ली दरबार के भरोसे है।
अब गजब देखिये खाने खिलाने के खिलाफ खड़ी होने का दावा करने बाली भारतीय जनता पार्टी चुप मार कर बैठी है। एकनाथ खडसे की जमीन सौदेबाजी की काबिलियत पर बड़े बड़े दिग्गज हैरान है। ये वही एकनाथ खडसे है जो राजस्व मंत्री होते हुए इसलिए मशहूर है क्योंकि अंडर वर्ल्ड दाऊद के कॉल डिटेल्स में इनका नाम होने का आरोप लगा है। इनके करीबी गजानन्द पाटिल 5 करोड़ रुपैये घुस लेते गिरफ्तार होते है, जलगाँव में जमीन हथियाने का आरोप पुराना हो चूका, चुनाव में गलत जानकारी देने का भी आरोप पुराना। सिचाई घोटाले में इनके करीबियों के नाम होने का आरोप अलग से है। एक भारी भड़कम राजस्व मंत्री पर गाज किसी भी वक्त गिर सकती है। इस बार आरोप का चर्चा इतना ज्यादा है की इसे किनारा लगाना बीजेपी के लिए मुश्किल है। मेरा देश बदल रहा है गाने की लाज रखने के लिए कम से कम इतना तो करना ही होगा।
एकनाथ खडसे अकेले नही है बीजेपी में जिसपर भ्र्ष्टाचार के कीचड़ में सने होने का आरोप लगे है। सिर्फ डेढ़ साल में तिन मंत्री खाने कमाने और बरगलाने के आरोप में बुरी तरह फंसे हुए है। सोचने की बात यह है की तीनो ही सार्वजनिक तौर पर CM बनने की इच्छा जताई थी। बीजेपी की मुश्किल यह है की अभी भी आरोपियों के पीछे खड़ा होना पर रहा है।
बीजेपी जबाब दे भी तो कैसे? महाराष्ट्र में उनके तिन तिन दिग्गज दाग में नहाये हुए है। किसी पर खाने का आरोप है, किसी पर कमाने का और किसी पर जनता को बरगलाने का? हैरत की बात यह है वो सारे के सारे चुनावी नतीजो के फौरन बाद CM पद के उम्मीदवार जता रहे थे। एकनाथ खडसे पर घोटाले की दाग, शिक्षा मंत्री बिनोद ताम्रे डिग्री फर्जीवाड़े में फँसे हुए है पंकजा मुंडे पर भी घोटाले का आरोप है। जो भी हो डेढ़ साल में तिन तिन घोटाले का आरोप ने बीजेपी की नैतिकता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। जजबात के नाम पर वोट माँगे और लूटने लगी जमीन।
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