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Thursday, April 28, 2016

बिहार में खाना पकाने पर सरकारी नियम लागू, ना मानने पर दो साल की जेल या जुर्माना

बिहार के उन गरीबो की बेबसी पर ये सरकारी फरमान आया है की गरीबो को चूल्हा जलाना मना है।चूल्हा जला तो 2 साल तक की सजा हो सकती है। बिहार सरकार के ये नये फरमान ने गरीबों के माथे पर बल डाल दिया है क्योंकि दोपहर का खाना चूल्हे पर नही बन सकता है। तो बिहार की महिलाएं चूल्हा जलाने से पहले अब घड़ी देखें। पहले जब मन किया चूल्हा में आग जलायी और गर्मागर्म रोटी पकाई। सरकारी फरमान जारी हुई है की सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक मिट्टी के चूल्हे बन्द कर दिया जाए।

कोई कनफ्यूजन नही है सरकारी फरमान ने चूल्हा मतलब चूल्हा, गैस चूल्हे से अलग किसी भी तरह के लकड़ी या कोयला बाली मिट्टी के चूल्हे सुबह के 9 बजे से शाम के 6 बजे तक जलाना मना है। ये बात आपको अजीब लग सकता है लेकिन ये सच है और ऐसा सरकारी फरमान जारी किया है। इस दौरान कोई यज्ञ हवन भी नही कर सकते। बिहार में भीषण गर्मी पर रही है, जबतब आग लगने की घटनाएँ सामने आ रही है। जान माल की नुकसान की खबरे भी आती रहती है। सरकार ने इसी वजह से गैस चूल्हो के अलाबा लकड़ी और कोयले बाली चूल्हे की इस अवधी के लिए बन्द रखने की फरमान जारी किया है। कोई इस पाबन्दी को हल्के में ना ले बाकायदा सरकारी नियम कायदों से ये एडवाइजरी जारी हुई है। इसके खिलाफ जाने बाले लोग यानि सुबह 9 से शाम के 6 बजे के बिच जलाएंगे तो 2 साल की कैद या जुर्माना भी लग सकता है।

अब जरा सोचने बाली बात है की बिहार जैसे पिछड़े सूबो में जहाँ गैस की इस्तेमाल बहुत कम होती है। ग्रामीण इलाका में जो चूल्हा सुबह जलता है वो शाम को ही बुझता है, वहाँ यह नियम कितना कारगर होगा? क्योंकि सुबह सुबह मजदूरी करने बाली औरत घर से निकलकर मजदूरी करके आती है फिर खाना बनाकर अपने बच्चों को पेट भरती है उनके लिए यह बहुत ही कठिन काम है।

वैसे ये बात सच है की इन दिनों बिहार आगजनी की घटनाओं में तेजी आई है। औरंगावाद जिले में 22 अप्रैल को आग में जलकर 13 लोगों की मौत हो गई,सिर्फ एक महीने में आग लगने की घटनाओं में 67 लोगों की मौत हो गई है। लेकिन आग से जान माल के नुकसान को रोकने के लिए ऐसी एडवाइजरी किसी को हजम नही हो रही है ? इसके बदले आगजनी को रोकने के लिए अग्निशामक यन्त्र छोटे छोटे मशीन जो आसानी से कही भी ले जाया जा सकता और इस तरह के आगजनी के घटना को रोका जा सकता था परन्तु इसके बदले इस तरह का फरमान शायद जनहित में है या नही है ये आपलोग समझे ?

बिहार में शराब को बन्द कर नितीश कुमार को  रातो रात लोकप्रिय बना दिया और इस लोकप्रियता को काफी दिनों तक भुनाया भी। अब एक नई एडवाइजरी जारी किया है जो गले नही उतरती।
बिहार में पीना बन्द तो ठीक था अब खाना बन्द कैसे करेंगे ?
कई दिनों तक चूल्हा रोया चक्की रही उदास,
कई दिनों तक कानि कुतिया सोयी उसके पास।। नागार्जुन की ये पंक्तियाँ आज के हालात पर सटीक बैठते है।

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